भारतात कृषी कर्जाचे संस्थागत स्त्रोत कोणते
आहेत?
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स्वातंत्र्यपूर्व काळापासून भारत हा कृषी प्रधान देश म्हणून ओळखला जातो. कृषी विकासासाठी वित्तपुरवठ्याचे महत्व सर्व ज्ञात आहे.
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भारत में कृषि ऋण के संस्थागत स्रोत.
व्याख्या:
- कृषि विकास के लिए कृषि ऋण एक महत्वपूर्ण शर्त है.
- इस क्षेत्र को पर्याप्त और समय पर वित्त उपलब्ध कराने के लिए समय-समय पर कृषि नीतियों की समीक्षा की जाती रही है.
- संस्थागत स्रोतों में एसबीआई समूह, आरबीआई और नाबार्ड सहित सहकारिता, वाणिज्यिक बैंक शामिल हैं.
- संस्थागत ऋण के स्रोत ग्रामीण सहकारी समितियां, वाणिज्यिक बैंक, विशेषकर भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) हैं.
- और राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) नामक एक विशेष संस्था की स्थापना के साथ कृषि पुनर्वित्त एवं विकास निगम (एआरडीसी) का अस्तित्व समाप्त हो गया है.
- संस्थागत ऋण प्रणाली कृषि विकास के लिए महत्वपूर्ण है और उदारीकृत आर्थिक माहौल में इसकी भूमिका और बढ़ी है.
- भारत में कृषि क्षेत्र को ऋण देने के लिए सहकारी बैंकों, अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (आरआरबी) को शामिल करते हुए एक बहु-एजेंसी दृष्टिकोण का पालन किया गया है.
- ग्रामीण क्षेत्र में यदि आप किसी को कृषि ऋण के संस्थागत फ्रेम कार्य के लिए कहते हैं, तो उनमें से अधिकतम शब्दहीन हैं.
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