Social Sciences, asked by pankajkulthe6, 8 months ago

भारतातील जूनिया उद्योग धंधे अंसा हस कसा झाला​

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Answered by singhjaspal8456
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Answer:

लघु उद्योग' (छोटे पैमाने की औद्योगिक इकाइयाँ वे इकाइयां होती है जो मध्यम स्तर के विनियोग की सहायता से उत्पादन प्रारम्भ करती हैं। इन इकाइयों मे श्रम शक्ति की मात्रा भी कम होती है और सापेक्षिक रूप से वस्तुओं एवं सेवाओं का कम मात्रा में उत्पादान किया जाता है। ये बड़े पैमाने के उद्योगो से पूंजी की मात्रा, रोजगार, उत्पादन एवं प्रबन्ध, आगतों एवं निर्गतो के प्रवाह इत्यादि की दृष्टि से भिन्न प्रकार की होती है। ये कुटीर उद्योगों से भी इन आधारों पर भिन्न होती हैं- उत्पादन में यंत्रीकरण की मात्रा, मजदूरी पर लगाये गये श्रमिकों एवं परिवारिक श्रमिकों के अनुपात, बाजार का भौगोलिक आकार, विनियोजित पूंजी इत्यादि।

लघु उद्योगों का वर्गीकरण तीन प्रकार उद्योगों में किया है- 1. सूक्ष्म उद्योग 2. लघु उद्योग 3. मध्यम उद्योग।

मुख्यतया लघु उद्योगों को इन में विनियोजित राशि के मापदण्डो से वर्गीकरण किया जाता है। निर्माण उपाय के अर्न्तगत सूक्ष्म उद्योग वह है जहाँ प्लाण्ट एवं मशीनरी में निवेश 25 लाख रूपये से अधिक नही होता है। लघु उद्योग वह है जहाँ प्लाण्ट एवं मशीनरी में निवेश 25 लाख रूपये से अधिक लेकिन 5 करोड़ रूपये से कम होता है। मध्यम उद्योग वह है जिसमें प्लांट एवं मशीनरी में निवेश पॉच करोड़ रूपये से अधिक लेकिन 10 करोड़ रूपये से कम होता हो।

सेवा उद्योग के स्वरूप में एक सूक्ष्म उद्योग वह है जहाँ उपकरणों में निवेश 10 लाख रूपये से आगे नहीं बढ़ता है और लघु उद्योग, जहाँ उपकरणों में निवेश 10 लाख रूपये से अधिक लेकिन 2 करोड़ रूपये से अधिक नही है एवं मध्यम उद्योग जहाँं उपकरणों में निवेश 2 करोड़ रूपये से अधिक लेकिन 5 करोड़ रूपये से कम न हो।

भारतीय आर्थिक विकास में लघु एवं कुटीर पैमाने के उद्योगों ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। लघु पैमाने के उद्योग और कुटीर उद्योग भारत के विर्निमाण क्षेत्र की संरचना एवं स्वरूप के महत्वपूर्ण भाग है।

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