Hindi, asked by Anonymous, 10 hours ago

भारतेंदु बाबू हरिश्चंद्र पर एक साहित्यिक निबंध लिखिए |​

Answers

Answered by llStarllAbhay1429ll
10

Answer:

भारतेन्दु हरिश्चन्द्र का जन्म ९ सितम्बर, १८५० को काशी के एक प्रतिष्ठित वैश्य परिवार में हुआ। उनके पिता गोपालचंद्र एक अच्छे कवि थे और 'गिरधरदास'उपनाम से कविता लिखा करते थे। १८५७ में प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के समय उनकी आयु ७ वर्ष की होगी। ये दिन उनकी आँख खुलने के थे।

Hope its help u DZ

Answered by ShiningBlossom
6

ㅤㅤㅤभारतेंदु बाबू हरिश्चंद्र

नीलगगन में सांध्यतारा का, पावस में प्रथम कुहार का तथा माला में प्रथम मणि का जो रमणीय और महत्वपूर्ण स्थान है, वही स्थान हिंदी साहित्य में नवयुगप्रवर्तक भारतेंदु बाबू हरिश्चंद्र का है। देश में दैन्य की प्रचंड ज्वाला देखकर भी रीतिकालीन कवि नायिका को अभिसार का उपदेश देकर कविता कामिनी को सभा की परि बनाकर राधाकृष्ण की आड में कलुषित प्रेम की शत-सहस्र उदभावनाएँ व्यक्त कर रहे थे। उसी समय प्रगति का पताका और राष्ट्रीयता का शंख लिए तरुणाई के मस्त कवि ने कहा -

रोबहु सब मिलि के आबहु भारत भाई। हा! हा!! भारत दुर्दशा न देखी जाई।।

इनका आविर्भाव प्राचीन और नवीन के संधि-स्थल पर हुआ था। इनकी कला की आभा में संपूर्ण हिंदी साहित्य जगमगा उठा। ये ही प्रथम पैरोडी लेखक हैं। ये कलियुग के कन्हैया हैं। आपकी प्रतिभा बहुमुखी थी। मात्र 35 वर्ष में 175 ग्रंथ रचने, कई लिपियों में सुंदरता, सुगमता तथा तत्परता से लिखने के कारण आप राइटिंग मशीन थे।

सूर वात्सल्य और शृंगार रस के तुलसी शांत रस के और भूषण वीर रस के कवि माने जाते हैं, किंतु आप सभी रसों के कवि और सभी विधाओं के विद्वान माने जाते हैं। आपके युग का साहित्य जनवादी है और सच पूछा जाए तो आप एक स्कूल है, जहाँ गुप्त, दिनकर, चतुर्वेदी आदि ने राष्ट्रीयता की शिक्षा पाई।

आपकी रचनाएँ निर्जन वन के बीच सुगम पथ, तम में दीप, दिशाभ्रम में रवि तथा संकट में सांत्वना वाक्य के समान सुखद और उपादेय है।

ㅤㅤनिज भाषा उन्नति अहे सब उन्नति को मूल

ㅤㅤ निज भाषा ज्ञान के मिटत न हिय को सूल ।।

आपने निज भाषा के उन्नयन का मूल मंत्र दिया। इसलिए अंग्रेजी का विरोध करते हुए अंग्रेजों को देश से निष्कासित करने का अथक परिश्रम किया। जनमानस को सहज शब्दों में उद्बोधन गीत सुनाने के कारण लक्ष्मण सिंह की तत्सम और सितारे हिंद की उर्दू शैली तथा सुखलाल, लल्लूलाल आदि की क्षेत्रीय भाषा-शैली समाप्त हो गई। तभी तो पंत ने कहा भारतेंदु कर गए भारती का वीणा निर्माण।

 \sf

Similar questions