Hindi, asked by vandnauikey91, 23 days ago

भारतेंदु हरिश्चंद्र के साहित्यिक अवदान पर प्रकाश डालिए​

Answers

Answered by bijaychoudhary302
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Explanation:

भारतेन्दु एक उत्कृष्ट कवि, सशक्त व्यंग्यकार, सफल नाटककार, जागरूक पत्रकार तथा ओजस्वी गद्यकार थे। इसके अलावा वे लेखक, कवि, संपादक, निबंधकार, एवं कुशल वक्ता भी थे। भारतेन्दु जी ने मात्र चौंतीस वर्ष की अल्पायु में ही विशाल साहित्य की रचना की।

भारतेंदु ने अपने संरक्षण में काशी में नेशनल थियेटर की स्थापना की। उनके मंडल के लेखकों ने काशी, प्रयाग, बिहार आदि में अनेक नाट्य मंडलियाँ स्थापित की। अभिनय के साथ-साथ उनका उद्देश्य चारों और एक सजग, रचनात्मक और कलात्मक वातवरण बनाने तथा नाटकों के प्रति स्तरीय अभिरुचि विकसित । करने का था।

भारतेन्दु के पूर्ववर्ती नाटककारों में रीवा नरेश विश्वनाथ सिंह (१८४६-१९११) के बृजभाषा में लिखे गए नाटक 'आनंद रघुनंदन' और गोपालचंद्र के 'नहुष' (१८४१) को अनेक विद्वान हिंदी का प्रथम नाटक मानते हैं भारतेंदु युग में जनचेतना पुनर्जागरण की भावना से अनुप्राणित थी। फलस्वरूप सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक क्षेत्रों में गहरे आंतरिक संबंध विद्यमान थे।

Answered by itzinnocentqueen14
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Explanation:

भारतेंदु हरिश्चंद्र ने 1868 में 'कविवचनसुधा', 1873 में 'हरिश्चन्द्र मैगजीन' और 1874 में स्त्री शिक्षा के लिए 'बाला बोधिनी' नामक पत्रिकाएँ निकालीं।

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