भारतेंदु के जीवन का उद्देश्य अपने देश की उन्नति के मार्ग को साफ – सुथरा और लंबा – चौड़ा बनाना था। उन्होंने इसके काँटो और कंकडों को दूर किया। उसके दोनों ओर सुंदर- सुंदर क्यारियाँ बनाकर उनमें मनोरम फल फूलों के वृक्ष लगाए।
इस प्रकार उसे सुरमय बना दिया कि भारतवासी उस आनंदपूर्वक चलकर अपनी उन्नति के इष्ट स्थान तक पहुंच सके। यद्यपि भारतेंदु जी अपने लगाये हुए वृक्षों को फल फूलों से लदा न देख सके, फिर भी हमको यह कहने में किसी प्रकार का संकोच नही होगा कि वे जीवन के उद्देश्य में पूर्णतया सफल हुए। हिंदी भाषा और साहित्त्य में जो उन्नति आज दिखाई पड़ रही है उसके मूल कारण भारतेंदु जी हैं औऱ उन्हें ही इस उन्नति के बीज को रोपित करने का श्रेय प्राप्त है।(5×1=5 अंक)
i)प्रस्तुत गद्यांश किनके जीवन पर आधारित है?
क)जवाहरलाल नेहरू
ख)हरिश्चंद्र
ग)राजा भरत
घ)भारतेंदु हरिश्चन्द्र
Ii)भारतेंदु के जीवन का उद्देश्य क्या था?
क)अपनी उन्नति
ख)देश की उन्नति
ग)देश की अवनति
घ)इनमें से कोई नहीं
iii)क्या भारतेन्दु अपने” सपनों के भारत” को देख सके?
क) हाँ ख)नहीं
ग)थोड़े समय के लिय
घ) उपरोक्त में से कोई नहीं
Iv) ‘ उन्नति’ शब्द का विलोम शब्द चिन्हित करें-
क)अवगति ख). अवनति
ग)प्रगति घ)स्वगति
V) यद्यपि’ शब्द का संधिविच्छेद क्या होगा?
क)यदि + अपि ख) यादि + आदि
ग)यात + अपि। घ)यति + अपि
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Explanation:
भारतेंदु हरिश्चंद्र
देश की उन्नति
हां
अवनति
यदि + अपि
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१ भारतेंदु
२ desh ki Unnati
३ हा
४ Avanti
५ यदि + अपि
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