भारतेंदु ने निज भाषा उन्नति कविता में अपनी भाषा संस्कृति के प्रति सचेत रहने की बात क्यों कही है?
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यह प्रसिद्ध दोहा भारतेन्दु हरिश्चन्द्र की प्रसिद्ध कविता निज भाषा से लिया गया है। हिन्दी सम्बन्धित आन्दोलनों और आयोजनों में यह दोहा अनगिनत बार प्रेरणास्रोत की तरह उद्धृत किया जाता रहा है। इस कविता में कुल दस दोहे हैं।
Explanation:
निज यानी अपनी भाषा से ही उन्नति संभव है, क्योंकि यही सारी उन्नतियों का मूलाधार है।
मातृभाषा के ज्ञान के बिना हृदय की पीड़ा का निवारण संभव नहीं है।
विभिन्न प्रकार की कलाएँ, असीमित शिक्षा तथा अनेक प्रकार का ज्ञान,
सभी देशों से जरूर लेने चाहिये, परन्तु उनका प्रचार मातृभाषा के द्वारा ही करना चाहिये।
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