Political Science, asked by bhopal140673, 7 months ago

भारत द्वारा गुटनिरपेक्षता पर आने का क्या कारण था​

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Answered by itspintuofficial
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गुटनिरपेक्ष नीति और भारत में विशेष संबध रहा है। गुटनिरपेक्ष आंदोलन के प्रमुख जनक नेहरू , नासिर और टीटो थें। भारत की ओर गुट निरपेक्ष आंदोलन को दिशा देने में नेहरू जी का विशेष योगदान रहा है। अतः अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में प्रारंभ से ही गुट निरपेक्षता का दृष्टिकोण होने के कारण भारत की चर्चा करना अंत्यंत प्रासंगिक है। गुट निरपेक्षता नीति का विश्व के किसी भी गुट के साथ द्विपक्षीय संबधों के आधार पर सैनिक समझौते में भाग न लेना है। इस नीति का पालन करने वाले राष्ट्र जहां एक ओर गुटबाजी की विश्व राजनीति से विलग रहते है। वहां दुसरी ओर विश्व शांति और सुरक्षा में प्रगति हेतु संयुक्त राष्ट्र संघ और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों को भरपूर मदद देते है। इसका अर्थ कदापि तटस्थता की नीति नही है जैसा कि हम बता चुके है कि भारतीय प्रधानमंत्री नेहरू जी ने गुट निरपेक्ष की नीति का अर्थ स्पष्ट करते हुए कहा था - यदि स्वतंत्रता का हनन होगा , न्याय की हत्या होगी अथवा कही आक्रमण होगा तो वहा हम न तो आज तटस्थ रह सकते है। और न भविष्य में रहेंगें। यह नीति गुट निरपेक्षता देशों की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उठने वाली दैनदिन की ज्वलंत समस्याओं पर उनके गुणानुसार अपनी स्वतंत्र प्रतिक्रिया को व्यक्त करने के योग्य बनाती है।

Answered by RitikaVDubey
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Answer:

भारत द्वारा गुटनिरपेक्षता पर आने का क्या कारण थागुटनिरपेक्ष नीति और भारत में विशेष संबध रहा है। गुटनिरपेक्ष आंदोलन के प्रमुख जनक नेहरू , नासिर और टीटो थें। भारत की ओर गुट निरपेक्ष आंदोलन को दिशा देने में नेहरू जी का विशेष योगदान रहा है। अतः अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में प्रारंभ से ही गुट निरपेक्षता का दृष्टिकोण होने के कारण भारत की चर्चा करना अंत्यंत प्रासंगिक है। गुट निरपेक्षता नीति का विश्व के किसी भी गुट के साथ द्विपक्षीय संबधों के आधार पर सैनिक समझौते में भाग न लेना है। इस नीति का पालन करने वाले राष्ट्र जहां एक ओर गुटबाजी की विश्व राजनीति से विलग रहते है। वहां दुसरी ओर विश्व शांति और सुरक्षा में प्रगति हेतु संयुक्त राष्ट्र संघ और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों को भरपूर मदद देते है। इसका अर्थ कदापि तटस्थता की नीति नही है जैसा कि हम बता चुके है कि भारतीय प्रधानमंत्री नेहरू जी ने गुट निरपेक्ष की नीति का अर्थ स्पष्ट करते हुए कहा था - यदि स्वतंत्रता का हनन होगा , न्याय की हत्या होगी अथवा कही आक्रमण होगा तो वहा हम न तो आज तटस्थ रह सकते है। और न भविष्य में रहेंगें। यह नीति गुट निरपेक्षता देशों की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उठने वाली दैनदिन की ज्वलंत समस्याओं पर उनके गुणानुसार अपनी स्वतंत्र प्रतिक्रिया को व्यक्त करने के योग्य बनाती है।

भारत सोवियत सहयोग व मैत्री संधि तथा गुट निरपेक्षता :-

9 अगस्त 1971 को भारत और सोवियत संघ के बीच की गयी मैत्री व सहयोग संधि को लेकर गंभीर विवाद चलता रहा है कि इससे भारतीय गुट निरपेक्ष आंदोलन का उल्लघंन हुआ है। या नहीं इस बात का मुल्यांकन करने से पहले यहां इस संधि के पूर्व भारत के समझ तत्कालीन बाहरी चुनौतियों का जिक्र कर देना प्रांसगिक होगा। 1970 में पूर्वी पाकिस्तान में पाकिस्तानी सरकार के बाहरी दमन के खिलाफ विद्रोह हुआ और स्वतंत्र देश की मांग उठी। पाकिस्तानी दमन से पीड़ित पूर्वी पाकिस्तान के करीब 90 लाख लोग भारत में शरणार्थियों के आवास भोजन एवं कपड़ों की व्यवस्था कर रही थी। वही दुसरी ओर पाकिस्तान ने भारत के विरूद्ध सैनिक युद्ध छेड़ने की तैयारियां शुरू कर दी। अमरीका ने घोषणा की कि वह भारत पाक युद्ध मे निष्क्रीय नहीं रहेगा और उसने चीन से घोषणा करवा दी कि वह भारत पाक में भारत के विरूद्ध पाकिस्तान की सहायता करेगा। इस प्रकार भारतीय सुरक्षा के समझ गम्भीर चुनौतियां उपस्थित हो गई। ऐसी अवस्था में सोवियत मैत्री एवं सहयोग संधि पर हस्ताक्षर करके गुट निरपेक्षता नीति का उल्लघंन किया है। दुसरी तरफ भारतीय एंव सोवियत शासकों और विदवानों के मत इस संधि से भारतीय गुट निरपेक्ष की नीति का किसी प्रकार का उल्लंघन नहीं हुआ है। उनका मानना है कि यह संधि भारत ओर सोवियत संघ के बीच बढती मैत्री व सहयोग का प्रतीक है।

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