भारत वीरों की भूमि स्पष्ट करो (निबंध)
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मेरा भारत मेरी शान
भारत दुनियां की सबसे पुरानी सभ्यताओं में से एक हैं, जो 4,000 से अधिक वर्षों से चली आ रही है और जिसने अनेक रीति-रिवाजों और परम्पराओं का संगम देखा है। यह देश की समृद्ध संस्कृति और विरासत का परिचायक है।
राष्ट्र के इतिहास में उपनिवेशवाद से उबरते एक देश से लेकर 50 वर्षों के अंदर वैश्चिक परिदृश्य में एक अग्रणी अर्थव्यवस्था तक के विकास में उदारता की झलकें दिखाई देती है। लोगों में इन सबसे बढकर राष्ट्रीयता की भावना इस विकास के योगदान में सक्रिय रही है। राष्ट्र का यह विकसित होता रूप देश और दुनियां में प्रत्येक भारतीय के मन में राष्ट्रीय गर्व की भावना उत्पन्न करता है और यह खण्ड इसी भावना को सदैव आगे बढाने का एक विनम्र प्रयास है।
Explanation:
- मेरी मातृभूमि पर निबंध- Essay on My Motherland in Hindi
मातृभूमि वह भूमि है जहाँ मनुष्य जन्म लेता है। उसकी मिटटी में खेलकर बड़ा होता है। उस मिट्टी से अपनी जान से भी ज़्यादा प्रेम करता है और उसे माँ का दर्ज़ा देता है। उसे मातृभूमि कहते है। कहते है की ‘जननी जन्मभूमिश्चा स्वर्गादपि गरीयसी ‘ | इसका तात्पर्य है माँ और जन्मभूमि स्वर्ग से कई ज़्यादा माईने रखती है। एक सच्चा देशभक्त अपनी मिटटी से इतना प्रेम करता है की वह अपने प्राणो की बलि देने में हिचकिचाता नहीं है। हर एक इंसान के लिए उनकी मातृभूमि की एहमियत होती है जिसे शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता है।
भारत अपनी विविधताओं के लिए विश्व भर में मशहूर है। भारत की सिंधु सभ्यता और हरप्पा -मोहनजोदड़ो की संस्कृति बहुत ही रहश्यमयी है और उतनी ही रोचक है। भारत में हर धर्म, जाति और प्रजाति के लोग निवास करता है। भारत में 29 राज्य है कहीं बांग्ला बोला जाता है कहीं भोजपुरी, पंजाबी, उर्दू, तमिल, तेलगु इत्यादि। लेकिन हर भारतीय एक दूसरे की धार्मिक भावनाओं का सम्मान करता है और मिल-जुलकर हम एक ही देश में रहते है। इसे हम राष्ट्रीय भावना कहते है। “अनेकता में ही एकता ” हमारा नारा है। लेकिन आजकल क्षेत्रीय भावना राष्ट्रिय भावनाओं पर हावी हो रही है।
कुछ लोग क्षेत्रीय भावनाओं को ज़्यादा महत्व देते है जो की उचित नहीं हमे एक राष्ट्र की तरह एक- दूसरे से मिलकर और एक दूसरे के साथ कदम मिलाकर चलना होगा। भारत में अंग्रेज़ो ने 200 वर्षों तक राज किया। अंग्रेज़ो के ज़ुल्मों ने देशवाशियों को काले अन्धकार की ओर धकेल दिया। कालापानी जो अंडमान में स्थित है इसका एक जीता -जागता उदाहरण है। वहां देशभक्तों से जानवरों की तरह काम करवाते थे और उन्हें भूखा रखते थे और कौडे मारते थे। लेकिन वह कभी रुके नहीं और अपनी मातृभूमि को बचाने के लिए अपने प्राणो की आहुति दे दी। हम सलाम करते है उन वीरो और जवानो को जिन्होंने कभी अपने परिवार और खुद को प्राथमिकता न देकर देश के लिए अपनी जान न्योछावर कर दी। नमन है उन वीरों को जिन्होंने हँसते -हँसते अपने प्राणो की बलि दे दी और यह भी न सोचा की उनके परिवारों का क्या होगा। चंद्रशेखर आज़ाद, भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव जैसे वीरों ने खुलकर आज़ादी के गीत गाये और मातृभूमि के लिए अपने प्राणो का समर्पण किया ताकि हम खुश रहें आज़ाद रहे।
भारतीय इतिहास बहुत समृद्ध और रचनात्मक है। भारत अपने दर्शन, कला, संगीत, नृत्य, प्रयटन हर क्षेत्र में लोकप्रिय है। भारत एक लोकतांत्रिक देश है। भारत में पुरुष और महिलाओं को एक समान अधिकार दिया जाता है। यहाँ पर कोई भी व्यक्ति किसी भी धर्म को मान सकता है। भारतीय संविधान हर धर्म, जाति और हर प्रजातियों के अधिकारों को संरक्षित किया है। हमारी अपनी मातृभूमि के साथ एक गहरा रिश्ता है। माँ शब्द अपने आप में ही एक सम्पूर्ण वाक्य है। माँ नौ महीने हमे अपने पेट में सींचती है। उसी प्रकार मातृभूमि चारों तरफ से हमारा पालन- पोषण करती है। मातृभूमि ने पेड़ -पौधे, पहाड़, नदियाँ और पशु -पक्षियां उपहार में दिए है। यह सब न हो तो किसी का भी जीना संभव नहीं। यह मातृभूमि हमारी जन्मभूमि है, अगर यह नहीं तो मनुष्य का कोई अस्तित्व नहीं होता। भारतभूमि की अनोखी सुंदरता को निहारने के लिए पर्यटक दूर देशो से आते है और इनकी तारीफों से थकते नहीं। हमारी राष्ट्रभाषा हिंदी है। हिंदी एक ऐसी मिलनसार भाषा है जो हर भाषाओं को अपने में समा लेती है। हमे अपनी भारत जन्भूमि और भारतीय संस्कृति पर अत्यंत गर्व है। भारतीय मातृभूमि में महात्मा गाँधी, जवाहरलाल नेहरू, सरदार पटेल , नेताजी सुबाष चंद्र बोस जैसे वीर सेनानियों को पैदा किया।
भारतीय साहित्य क्षेत्र के लेखकों जैसे रबीन्द्रनाथ टैगोर, प्रेमचंद आदि पर हमे गर्व है। हमारे देश में यमुना, ब्रह्मपुत्र, गंगा, नर्मदा , गोदावरी, कृष्णा और कावेरी नदियों का जल खेतों को प्राप्त होती है जिससे हमारी मिटटी उपजाऊ होती है। मातृभूमि की मिटटी अत्यंत उपजाऊ है जिसमे गेंहू, चावल, मसाले, फल और अनाज बड़े पैमाने पर उगाये जाते है। यहाँ कई प्रकार की जड़ी -बूटियां और औषधि पायी जाती है जिससे विभिन्न बिमारियों का इलाज किया जाता है। मातृभूमि हमारी माँ के सामान जिसकी रक्षा करना हमारा परम् कर्त्तव्य है।
निष्कर्ष
हम माँ सामान मातृभूमि के आँचल में पले बड़े है उसके सम्मान में हम भारतवासी जितना अधिक करे उतना कम है। क्यों की माँ का कर्ज़ा हम कभी नहीं चूका सकते। अपनी मिटटी की सौंधी खुशबु किस को नहीं पसंद। मातृभूमि हमें अपने मातृत्व की छाया में बड़ा करती है और कई प्राकृतिक विपत्तियों से हमारी रक्षा करती है। माँ का स्थान सबसे सर्वोच्च है जिसे हम बयांन नहीं कर सकते है। मातृभूमि की जगह हमारे मन में बसी हुई है। चाहे परस्थिति हमे कितना भी दूर करे लेकिन हम फिर अपने माँ के आँचल में समां जाते है। यह हमारा अपनी मातृभूमि से अटूट रिश्ता है जो हमारी आखरी सास तक रहेगा।