Hindi, asked by 1234sanju0000, 2 months ago

भारत वंदना कविता के आधार पर भारत माता का वर्णन कीजिए ​

Answers

Answered by nirbhaysingh8099
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Answer --- हे भारत भूमि महान,

तुझे हम करें कोटि प्रणाम।

निर्मल पावन इस आँचल में,

हे माँ तुझे प्रणामll

भारतमाता जग विख्याता,

तेरा वंदन अभिनंदन।

जग में ऊंचा नाम रहेगा,

हो युग-युग तक जग वंदन।

विश्व गुरू की कीर्ति पताका,

रहे सदा सम्मानl

हे भारत भूमि महानll

तुझसे ही निर्माण हुआ है,

तुझ में ही मिल जाएंगे।

तेरे ही आँचल में खिलकर,

पलकर शान बढ़ाएंगे।

तू ही ज्ञान-मान की दाता,

तेरी कीर्ति महान…ll

उज्ज्वल पावन तेरा आँचल,

फहरे नभ में प्यारा।

जग में यश की कीर्ति पताका,

देखे यह जग सारा।

स्वाभिमान गौरव का झंडा,

जाने सकल जहान…ll

तेरा कण-कण तीरथ पावन,

जल धारों से सिंचित।

गौरव गाथायें स्वदेश की,

बलिदानों से निर्मित।

शुभ्र हिमालय ऊंचे शिखरों,

से करता नित गान…ll

स्वच्छ मधुर जल भरे जलाशय,

धरा हरीतिमा मोहे।

पवन मनोहर मलयज सुरभित,

उपवन छवि अति सोहै।

तेरा यह सिंगार अमर है,

करें सभी यह गान…ll

स्नेहमयी तू भावमयी तू,

तेरी अतुल कहानी।

शोभित षड् ऋतुओं की छवि से,

बहुभाषा अरु बानी।

बहुभाषा संस्कृति के जन-मन,

फिर भी एक ही प्रान…ll

हे भारत भूमि महान,

तुझे हम करें कोटि प्रणाम।

निर्मल पावन इस आँचल में,

हे माँ तुझे प्रणाम।

जगवंदन तेरा अभिनन्दन,

गाते रहें ये गान।

हे माँ तुझे प्रणाम…ll

explain

परिचय-डॉ.धाराबल्लभ पांडेय का साहित्यिक उपनाम-आलोक है। १५ फरवरी १९५८ को जिला अल्मोड़ा के ग्राम करगीना में आप जन्में हैं। वर्तमान में मकड़ी(अल्मोड़ा, उत्तराखंड) आपका बसेरा है। हिंदी एवं संस्कृत सहित सामान्य ज्ञान पंजाबी और उर्दू भाषा का भी रखने वाले डॉ.पांडेय की शिक्षा- स्नातकोत्तर(हिंदी एवं संस्कृत) तथा पीएचडी (संस्कृत)है। कार्यक्षेत्र-अध्यापन (सरकारी सेवा)है। सामाजिक गतिविधि में आप विभिन्न राष्ट्रीय एवं सामाजिक कार्यों में सक्रियता से बराबर सहयोग करते हैं। लेखन विधा-गीत, लेख,निबंध,उपन्यास,कहानी एवं कविता है। प्रकाशन में आपके नाम-पावन राखी,ज्योति निबंधमाला,सुमधुर गीत मंजरी,बाल गीत माधुरी,विनसर चालीसा,अंत्याक्षरी दिग्दर्शन और अभिनव चिंतन सहित बांग्ला व शक संवत् का संयुक्त कैलेंडर है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में बहुत से लेख और निबंध सहित आपकी विविध रचनाएं प्रकाशित हैं,तो आकाशवाणी अल्मोड़ा से भी विभिन्न व्याख्यान एवं काव्य पाठ प्रसारित हैं। शिक्षा के क्षेत्र में विभिन्न पुरस्कार व सम्मान,दक्षता पुरस्कार,राधाकृष्णन पुरस्कार,राज्य उत्कृष्ट शिक्षक पुरस्कार और प्रतिभा सम्मान आपने हासिल किया है। ब्लॉग पर भी अपनी बात लिखते हैं। आपकी विशेष उपलब्धि-हिंदी साहित्य के क्षेत्र में विभिन्न सम्मान एवं प्रशस्ति-पत्र है। ‘आलोक’ की लेखनी का उद्देश्य-हिंदी भाषा विकास एवं सामाजिक व्यवस्थाओं पर समीक्षात्मक अभिव्यक्ति करना है। पसंदीदा हिंदी लेखक-सुमित्रानंदन पंत,महादेवी वर्मा, सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’,कबीर दास आदि हैं। प्रेरणापुंज-माता-पिता,गुरुदेव एवं संपर्क में आए विभिन्न महापुरुष हैं। विशेषज्ञता-हिंदी लेखन, देशप्रेम के लयात्मक गीत है। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति का विकास ही हमारे देश का गौरव है,जो हिंदी भाषा के विकास से ही संभव है।”

Answered by srastiuts018
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Answer:

मातृ वंदना” कविता हिंदी के महान कवि ‘सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी’ द्वारा रचित की एक देशभक्ति कविता है। निराला जी ने इस कविता के माध्यम से हर भारतवासी को अपनी मातृभूमि के प्रति कर्तव्य निभाने के लिए प्रेरित किया है। कवि कहते हैं कि अपनी मातृभूमि को स्वतंत्र करना और उसके सम्मान के लिए अपना सर्वस्तव अर्पण कर देना ही हर देशवासी का कर्तव्य है। निराला जी ने अपनी कविता मातृ वंदना के माध्यम से मातृभूमि भारत के प्रति अपनी श्रद्धा और भक्ति भाव प्रदर्शित किया है। निराला जी ने अपने जीवन में स्वार्थ भाव तथा जीवन भर के परिश्रम से प्राप्त सारे फल मां भारती के चरणों में अर्पित करते है।

Explanation:

भारत वंदना की व्याख्या करें तो सुनो भारत वंदना कविता का केंद्रीय भाव निराला जी ने इस कविता के माध्यम से हर भारतवासी को अपनी मातृभूमि के प्रति कर्तव्य निभाने के लिए प्रेरित किया है कभी कहते हैं कि अपनी मातृभूमि को स्वतंत्र करना और उसके सामान के लिए अपना सर्वस्व अस्त्र अपन कर देना ही हर देशवासी का कर्तव्य है। . भारत वंदना कविता का भावार्थ | कवि कहता है, हे माँ! मुझे ऐसा आत्मबल दो कि मैं अपने मनुष्य जीवन के सारे स्वार्थों और अपने परिश्रम अर्जित सभी वस्तुओं को तुम्हारे चरणों पर न्योछावर कर दें। मुझे इतना दृढ़ बना दो कि मैं जीवनरूपी रथ पर सवार होकर अर्थात् मृत्यु की चिंता किए बिना जीवन में आगे बढ़ते हुए, समय-समय पर आने वाले बाण की तरह कष्टदायक बाधा-विघ्नों को झेलते हुए तेरी सेवा करता रहूँ। मेरे हृदय में तेरा। आँसूओं से धुला स्वच्छ स्वरूप साकार हो जाए। मैं परतन्त्रता में दुखी और आँसू बहाते तेरे रूप को मन में बसा लूं। तेरे आँसू मुझे इतना बल प्रदान करें कि मैं अपने सारे जीवन में परिश्रम से अर्जित सभी वस्तुएँ और जीवन भी तुझ पर बलिदान कर सकें।

#SPJ3

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