भारत वंदना कविता का भावार्थ
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“भारत -वंदना” कविता का केन्द्रीय भाव"
निराला जी ने इस कविता के माध्यम से हर भारतवासी को अपनी मातृभूमि के प्रति कर्तव्य निभाने के लिए प्रेरित किया है। कवि कहते हैं कि अपनी मातृभूमि को स्वतंत्र करना और उसके सम्मान के लिए अपना सर्वस्तव अर्पण कर देना ही हर देशवासी का कर्तव्य है।
भारत वंदना कविता का भावार्थ...
‘भारत वंदना’ कविता सूर्यकांत त्रिपाठी निराला द्वारा रचित कविता है. इस कविता के माध्यम से उन्होंने भारत माता को स्त्री के रूप में चित्रित कर मातृभूमि के प्रति लोगों को जागरूक करने का प्रयत्न किया है। उन्होंने इस कविता के माध्यम से यह प्रेरणा दी है कि जिस मातृभूमि में हमने जन्म लिया है, उसका सम्मान करना तथा मातृभूमि के ऋण को झुकाना हमारा परम कर्तव्य है।
इस कविता में उन्होंने भारत माता को पारंपरिक नारी रूप में चित्रित किया है तथा हिमालय पर्वत, गंगा नदी, तपस्या की साधना स्थल, अध्यात्म, ओंकार ध्वनि इन सभी का अपनी कविता में उल्लेख किया है। भारत माता के सुंदर उन्होंने प्रकृति के तत्वों के माध्यम से भारत माता के सुंदर मनोहर रूप को उकेरा है और सभी लोगों को प्रेरणा की है कि हमें अपने मातृभूमि का निरंतर सम्मान और आदर करना चाहिए।