भारतीय आर्य भाषाओंके प्रकार बताकर एक प्रकार स्पष्ट किजिए?
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Explanation:
इनका समय 1500 ई0 पू0 तक माना जाता है। वस्तुत: यह विवादास्पद विषय है। इस वर्ग में भाषा केदो रूप अपलब्ध होते है- (i) वैदिक या वैदिक संस्कृत, (ii) संस्कृत या लौकिक संस्कृत। इन दोनों काभी पृथक-पृथक परिचय अपेक्षित है।
वैदिक या वैदिक संस्कृत –
इसे ‘वैदिक भाषा’, ‘वैदिकी’, छान्द या ‘प्राचीन संस्कृत’ भी कहा जाताहै। वैदिक भाषा का प्राचीनतम रूप ऋग्वेद में सुरक्षित है। यद्यपि अन्य तीनों संहिताओं, ब्राह्मणो-ग्रन्थोंतथा प्राचीन उपनिषदों आदि की भाषा भी वैदिक ही है, किन्तु इन सभी में भाषा का एक ही रूपनहीं मिलता। ‘ऋग्वेद’ के दूसरे मण्डल से नौवें मण्डल तक की भाषा ही सर्वाधिक प्राचीन है। यह‘अवेस्ता’ के अत्यधिक निकट है। शेष संहिताओं तथा अन्य ग्रन्थों में भाषा ही प्राचीनतम है, जिनमेंआर्यो का वातावरण तत्कालीन पंजाब के वातावरण से मिलता-जुलता वर्णित है। इसी प्रकार वैदिकभाषा के दो अन्य रूप-दूसरा और तीसरा भी वैदिक साहित्य में मिलते हैं। दूसरे रूप मध्यदेशीयभारत का तथा तीसरे रूप पूर्वी भारत का प्रभाव लक्षित होता है। ज्ञात होता है कि वैदिक भाषाका प्रवाह अनेक शताब्दियों तक रहा होगा।