भारतीय आर्यभाषा के क्रमिक विकास को निरूपित करते हुए हिन्दी के व्याकरणिक स्वरूप को स्पष्ट कीजिए।?
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भाषावैशिक दृष्टि से अपभ्रंश भारतीय आर्यभाषा के मध्यकाल की अंतिम अवस्था है जो प्राकृत और आधुनिक भाषाओं के बीच की स्थिति है। पूर्वी हिन्दी अतः कहा जा सकता है कि हिन्दी भाषा का विकास अपभ्रंश के शौरसेनी, मागधी और अर्धमागधी रूपों से हुआ है।
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Hindi hai apna language and
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