Hindi, asked by Anonymous, 6 months ago

भारतीय अपने जीवन कैसे गुजरते है ?​

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Answered by Anonymous
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मनुष्यका जीवन तनावपूर्ण होकर उत्सवमय होना चाहिए। ... कि हमें अपने बच्चों का जन्मोत्सव कैसे ...

Answered by darksoul3
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अखिल भारतीय लक्ष्मी नारायण सनातन समाज के भुज गुजराज स्थित श्री लक्ष्मीनारायण केन्द्र संस्कारधाम देशलपुर से धर्म जागृति रथ गुरुवार को यहां पहुंचा। रथ के साथ आए स्वामी वृंदावन बिहारीलाल शास्त्री ने पाटीदार भवन में आयोजित धर्म सभा में कहा कि ईश्वर ने हमें मानव जीवन का श्रेष्ठ रूप दिया है। सभी जीवों में केवल मानव को ही विवेक बुद्धि की प्राप्ति हुई है। हम चाहें जो कुछ भी करें, जिस भी व्यवसाय में हों, किन्तु हमें अपने सनातन धर्म से मिले संस्कार को नहीं भूलना चाहिए। मानव सेवा व समाज विकास में हम सभी को अपना बढ़ चढ़कर योगदान देना चाहिए।

लक्ष्मी नारायण रथ का यहां स्वागत पाटीदार समाज के सदस्यों ने किया। पाटीदार समाज के अध्यक्ष कांतीभाई पटेल के निवास स्थान से रथ के साथ शोभायात्रा धर्म सभा स्थल पहुंची। शास्त्री जी ने कहा कि धर्म केवल शास्त्रों में पढऩे की चीज नहीं है वरन हमें उससे मिलने वाली शिक्षा को अपने आचार, विचार व उच्चार में उतारना चाहिए।

जीवन कितना जीया यह महत्वपूर्ण नहीं है, किन्तु यह महत्वपूर्ण है कि हमने जीवन कैसे जीया। हमें अपने बच्चों को मातृभाषा से जोडऩा चाहिए, ताकि वे अपने मूल को कभी न भूलें, प्राचीन परंपराओं का अंधानुकरण करने की बजाए हमें अपने जीवन में नीति व प्रमाणिकता को उतारना चाहिए। संस्कार धाम देशलपर के प्रमुख ट्रस्टी करसन भाई मेघाणी ने वहां चल रही शिक्षण, सेवा व आध्यात्म गतिविधियों की विस्तृत जानकारी दी। संस्कार धान में ट्रस्टी व अखिल भारतीय पाटीदार समाज के पूर्व अध्यक्ष रामजीभाई नाकराणी ने इस प्रकल्प में सभी से अपना योगदान बढ़ चढ़कर करने का आव्हान किया। आगंतुक संत व अतिथियों का शाल, श्रीफल भेंटकर सम्मान किया गया। गोपाल पटेल ने संचालन व नानजीभाई पटेल ने आभार प्रदर्शन किया। सामूहिक आरती व प्रसाद वितरण के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।

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