भारतीय चुनाव आयोग के सामने कौन-कौन सी चुनौतियां हैं
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चुनाव- लोकतंत्र & राजनीति का आधार स्तम्भ हैं। आजादी के बाद से भारत में चुनावों ने एक लंबा रास्ता तय किया है
चुनाव सिर पर आते ही राजनीतिक दल जहां अपने-अपने चुनावी गणित भिड़ाने में जुट जाते हैं, वहीं निर्वाचन आयोग मतदान की लंबी-चौड़ी जटिल प्रक्रिया में कोई खामी न रहना सुनिश्चित करने के लिए कमर कसने लगता है।ड्ढr ड्ढr प्रमुख जिम्मेदारियां : आयोग का काम मतदान तिथियों के ऐलान से काफी पहले ही शुरू हो जाता है। इसमें मतदाता सूचियों की समीक्षा और चुनाव क्षेत्रों की मौजूदा स्थिति की जानकारी जुटाना सबसे अहम है। चुनाव क्षेत्रों का परिसीमन भी चुनाव आयोग के ही जिम्मे है। मतदान की तिथियां तय करने के लिए भी चुनाव आयोग में बैठकों का लंबा-चौड़ा दौर चलता है ताकि ऐसी तिथियां तय की जा सकें जिसमें छात्रों की परीक्षा या त्योहारों आदि में लोगों को किसी तरह की असुविधा न हो। राजनीतिक दलों के चुनावी प्रदर्शन के हिसाब से उन्हें क्षेत्रीय या राष्ट्रीय दल की मान्यता देना आयोग का ही विशेषाधिकार है।ड्ढr ड्ढr बड़ी चुनौतियां : इतने विशाल और विविधता वाले देश में सभी स्थितियों को ध्यान में रखकर चुनाव की तिथियां तय करना आसान काम नही हैं। चुनाव आयोग प्रक्रिया औपचारिक तौर पर शुरू होने से कुछ हफ्ते पहले तिथियों का ऐलान