भारतीय ग्रामीण समुदाय में ग्रामीण नेतृत्व के बदलते प्रतिमान ओं का वर्णन कीजिए
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Explanation:
गाँवों मे अधिकांश नेता उच्च जातियों अथवा प्रभुत्वशाली जाती के होते है। ... गाँवों मे एक जाति का नेता दूसरी जाति के लोगों का नेतृत्व नही कर सकता। 5. सामान्यता ग्रामीण नेताओं मे ग्रामीणों पर नेता व्यवहार का अधिक प्रभाव होता है न कि नेता पर ग्रामीण के व्यवहार का।
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भारतीय ग्रामीण समुदाय में ग्रामीण नेतृत्व के बदलते प्रतिमान :
- स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत वर्ष में नई जागृति उत्पन्न हो गई। गांवों का विकास कार्यक्रम शुरू किया गया।
- निर्वाचन : गांव का नेतृत्व आज उन हाथो में है सामान्य व्यक्तियों द्वारा निर्वाचित होते है। पहले की तरह अनुवांशिक भू स्वामित्व व जाति की विशेषता समाप्त गई है।
- साक्षरता : गांव में साक्षरता न होने से पहले समय में नेतृत्व में भी साक्षरता का महत्व नहीं था। अनपढ़ लोगो के हाथो में भी स्वामित्व होता था परन्तु अब ग्रामीण नेता भी पढ़े लिखे है।
- आयु : पुराने समय में बढ़े बुजुर्गो को ही पंचायत का सदस्य बनाया जाता था या सरपंच बनाया जाता था किन्तु अब युवा नेता भी परिपक्व है , ऐसी धारणा बन गई है। नेता बनने के लिए अधिक आयु का होना आवश्यक नहीं है।
- विशिष्टता : आज गांवों में एक ही नेता सभी पक्षों की ओर ध्यान नहीं देता किन्तु प्रत्येक विशिष्ट कार्य से संबंधित अलग अलग व्यक्तियों को नेता के रूप में चुना जाता है।
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