भारतीय हास्य के सामाजिक दशा कैसी थी
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Explanation:
सामाजिक आर्थिक स्तर ( सामाजिक आर्थिक स्थिति भी) इस बात का अंदेशा देता है व्यक्ति कार्य करने के लिए कितना तैयार है। यह व्यक्ति की संयुक्त आर्थिक और समाजशास्त्रीय स्थिति का कुल माप है, जो उसकी आय, शिक्षा और रोजगार के आधार पर अन्य लोगों के मुक़ाबले व्यक्तिगत और पारिवारिक आर्थिक और सामाजिक स्थिति का व्याख्यान देता है। जब एक परिवार के सामाजिक आर्थिक स्तर का विश्लेषण किया जाता है, तो घर की आय, शिक्षा अभिविन्यास के स्तर, और व्यवसाय का विश्लेषण किया जाता है, साथ ही साथ संयुक्त आय, व्यक्तिगत और घर के सदस्यों की व्यक्तिगत विशेषताओं का भी विश्लेषण किया जाता है।[1]
इसे आम तौर पर तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाता है: उच्च, मध्यम और निम्न, जिसमें एक परिवार स्थित हो सकता है। इन तीन श्रेणियों में कोई परिवार या व्यक्ति किस में आ रहा है इस बात का पता लगाने के लिए, तीन चर (आय, शिक्षा और व्यवसाय) में से एक या सभी का विश्लेषण किया जाता है।
एक चौथा चर, धन, का विश्लेषण सामाजिक आर्थिक स्थिति को निर्धारित करने के लिए भी किया जा सकता है।
इसके अतिरिक्त, यह स्थापित किया गया है कि निम्न स्तर की आय और निम्न स्तर की शिक्षा मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य समस्याओँ, जैसे श्वसन संबंधी बीमारियाँ, गठिया, हृदय रोग और सिज़ोफ्रेनिया की एक महत्वपूर्ण संकेतक है। ये कार्यस्थल में पर्यावरणीय स्थितियों या मानसिक बीमारी के कारण भी हो सकते हैं।[2][3][4]
भारत में सामाजिक-आर्थिक एवं जातीय जनगणना सरकार नियमित रूप से कराती है।[5]