Hindi, asked by iamangelvarun, 1 month ago

भारतीय किसानों पर एक निबंध लिखें​

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Answered by farhaanaarif84
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Answer:

त्याग और तपस्या का दूसरा नाम है किसान । वह जीवन भर मिट्‌टी से सोना उत्पन्न करने की तपस्या करता रहता है । तपती धूप, कड़ाके की ठंड तथा मूसलाधार बारिश भी उसकी इस साधना को तोड़ नहीं पाते । हमारे देश की लगभग सत्तर प्रतिशत आबादी आज भी गांवों में निवास करती है । जिनका मुख्य व्यवसाय कृषि है ।

एक कहावत है कि भारत की आत्मा किसान है जो गांवों में निवास करते हैं । किसान हमें खाद्यान्न देने के अलावा भारतीय संस्कृति और सभ्यता को भी सहेज कर रखे हुए हैं । यही कारण है कि शहरों की अपेक्षा गांवों में भारतीय संस्कृति और सभ्यता अधिक देखने को मिलती है । किसान की कृषि ही शक्ति है और यही उसकी भक्ति है ।

वर्तमान संदर्भ में हमारे देश में किसान आधुनिक विष्णु है । वह देशभर को अन्न, फल, साग, सब्जी आदि दे रहा है लेकिन बदले में उसे उसका पारिश्रमिक तक नहीं मिल पा रहा है । प्राचीन काल से लेकर अब तक किसान का जीवन अभावों में ही गुजरा है । किसान मेहनती होने के साथ-साथ सादा जीवन व्यतीत करने वाला होता है ।

समय अभाव के कारण उसकी आवश्यकतायें भी बहुत सीमित होती हैं । उसकी सबसे बड़ी आवश्यकता पानी है । यदि समय पर वर्षा नहीं होती है तो किसान उदास हो जाता है । इनकी दिनचर्या रोजाना एक सी ही रहती है । किसान ब्रह्ममुहूर्त में सजग प्रहरी की भांति जग उठता है । वह घर में नहीं सोकर वहां सोता है जहां उसका पशुधन होता है ।

उठते ही पशुधन की सेवा, इसके पश्चात अपनी कर्मभूमि खेत की ओर उसके पैर खुद-ब-खुद उठ जाते हैं । उसका स्नान, भोजन तथा विश्राम आदि जो कुछ भी होता है वह एकान्त वनस्थली में होता है । वह दिनभर कठोर परिश्रम करता है । स्नान भोजन आदि अक्सर वह खेतों पर ही करता है । सांझ ढलते समय वह कंधे पर हल रख बैलों को हांकता हुआ घर लौटता है ।

please breliant

Answered by Anonymous
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किसान माटी के समृत होते हैं। वे मिट्‌टी से सोना उपजाते हैं। वे अपने श्रम से संसार का पेट भरते हैं। वे अधिक पढ़े-लिखे नहीं होते परंतु उन्हें खेती की बारीकियों का ज्ञान होता है । वे मौसम के बदलते मिजाज को पहचान कर तदनुसार नीति निर्धारित करने में दक्ष होते हैं । सचमुच प्रकृति के सहचर होते हैं हमारे किसान ।

किसानों का मुख्य पेशा कृषि है । पशुपालन उनका सहायक पेशा है । पशु कृषि कार्य में उनका सहयोग करते हैं । बैल उनका हल और गाड़ी खींचते हैं । गाय उनके लिए दूध, गोबर और बछडे देती है । वे भैंस, बकरी आदि भी पालते हैं जिनसे उन्हें अतिरिक्त आमदनी होती है । इन पालतू पशुओं को पालने में उन्हें विशेष कठिनाई नहीं होती क्योंकि ये कृषि उत्पादों यथा पुआल, भूसा, खली, अनाज खाकर जीवित रहते हैं । पशुओं के लिए घास खेतों और बागानों से उपलब्ध हो जाता है ।

किसान बहुत परिश्रमी होते हैं । वे खेतों में जी-तोड़ श्रम करते हैं । वे मेहनत करके अनाज, फल और सब्जियाँ उगाते हैं । खेतों में फसल उगाने के लिए अच्छी तरह जुते हुए खेतों में बीज डाला जाता है । बीजों में अंकुर निकल आता है और धीरे- धीरे ये पौधे का रूप ले लेते हैं । पौधों की सिंचाई की जाती है । पौधों के बीच उग आए खर-पतवार निकालकर खेतों में खाद डाला जाता है । आवश्यकता पड़ने पर किसान कीटनाशकों का प्रयोग भी करते हैं ।

लहलहाती फसलों को देखकर किसान प्रसन्न हो उठते हैं । वे फसलों की लगातार निगरानी करते हैं । फसलों को पशुओं और चोरों से सुरक्षित रखने के लिए वे खेतों में मचान बनाकर वहीं सोते हैं । पकी फसलों की कटाई की जाती है, तत्पश्चात् उनसे अनाज के दाने निकाले जाते हैं । अनाज का भूसा मवेशियों के भोजन के लिए सुरक्षित रख लिया जाता है । जरूरत भर का अनाज और सब्जी घर में रखकर शेष मंडियों में बेच देते हैं । इनसे हुई आमदनी से उनका साल भर का गुजारा होता है ।

हमारे देश के किसानों को कृषि कार्य में विभिन्न प्रकार की समस्याओं से दो-चार होना पड़ता है । सबसे बड़ी समस्या है कृषि में आने वाली लागत जो दिनों-दिन बढ़ती चली जा रही है । किसानों को अच्छे बीज खरीदने पड़ते हैं जो बहुत महँगे दामों में मिलते हैं । ट्रैक्टरों या हल-बैल से खेत की जुताई भी आसान नहीं होती । खेतों में सिंचाई के लिए बिजली या पंपसैट की आवश्यकता होती है ।

किसानों को कृषि कार्य में अन्य मजदूरों की सेवाएँ लेनी पड़ती है जिसके बदले उन्हें धन व्यय करना पड़ता है । फसल कटाई से लेकर मंडियों में पहुँचाने तक काफी खर्चा आता है । इतना सब कुछ करने के बाद यदि मंडी में फसल की उचित कीमत न मिले तो वे निराश और हताश हो जाते हैं । उन्हें कर्ज लेकर अगली फसल बोने की तैयारी करनी पड़ती है ।

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