भारतीय कृषि की दशा समझाइए
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कृषि क्षेत्र में देश की लगभग आधी श्रमशक्ति कार्यरत है। भारत का खाद्यान्न उत्पादन प्रत्येक वर्ष बढ़ रहा है और देश गेहूं, चावल, दालों, गन्ने और कपास जैसी फसलों के मुख्य उत्पादकों में से एक है। ... यह दुग्ध उत्पादन में पहले और फलों एवं सब्जियों के उत्पादन में दूसरे स्थान पर है।
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कृषि क्षेत्र में देश की लगभग आधी श्रमशक्ति कार्यरत है। हालांकि जीडीपी में इसका योगदान 17.5% है (2015-16 के मौजूदा मूल्यों पर)।
पिछले कुछ दशकों के दौरान, अर्थव्यवस्था के विकास में मैन्यूफैक्चरिंग और सेवा क्षेत्रों का योगदान तेजी से बढ़ा है, जबकि कृषि क्षेत्र के योगदान में गिरावट हुई है। 1950 के दशक में जीडीपी में कृषि क्षेत्र का योगदान जहां 50% था, वहीं 2015-16 में यह गिरकर 15.4% रह गया (स्थिर मूल्यों पर)।
भारत का खाद्यान्न उत्पादन प्रत्येक वर्ष बढ़ रहा है और देश गेहूं, चावल, दालों, गन्ने और कपास जैसी फसलों के मुख्य उत्पादकों में से एक है। यह दुग्ध उत्पादन में पहले और फलों एवं सब्जियों के उत्पादन में दूसरे स्थान पर है। 2013 में भारत ने दाल उत्पादन में 25% का योगदान दिया जोकि किसी एक देश के लिहाज से सबसे अधिक है। इसके अतिरिक्त चावल उत्पादन में भारत की हिस्सेदारी 22% और गेहूं उत्पादन में 13% थी। पिछले अनेक वर्षों से दूसरे सबसे बड़े कपास निर्यातक होने के साथ-साथ कुल कपास उत्पादन में भारत की हिस्सेदारी 25% है।
हालांकि अनेक फसलों के मामलों में चीन, ब्राजील और अमेरिका जैसे बड़े कृषि उत्पादक देशों की तुलना में भारत की कृषि उपज कम है (यानी प्रति हेक्टेयर जमीन में उत्पादित होने वाली फसल की मात्रा)।
ऐसे कई कारण हैं, जोकि कृषि उत्पादकता को प्रभावित करते हैं, जैसे खेती की जमीन का आकार घट रहा है और किसान अब भी काफी हद तक मानसून पर निर्भर हैं। सिंचाई की पर्याप्त सुविधा नहीं है, साथ ही उर्वरकों का असंतुलित प्रयोग किया जा रहा है जिससे मिट्टी का उपजाऊपन कम होता है। देश के विभिन्न भागों में सभी को आधुनिक तकनीक उपलब्ध नहीं है, न ही कृषि के लिए औपचारिक स्तर पर ऋण उपलब्ध हो पाता है। सरकारी एजेंसियों द्वारा खाद्यान्नों की पूरी खरीद नहीं की जाती है और किसानों को लाभकारी मूल्य नहीं मिल पाते हैं।
इस संबंध में कमिटियों और एक्सपर्ट संस्थाओं द्वारा पिछले कई वर्षों से अनेक सुझाव दिए जा रहे हैं, जैसे कृषि की जमीन की पट्टेदारी के कानून बनाना, कुशलतापूर्वक पानी का उपयोग करने के लिए लघु सिंचाई तकनीक को अपनाना, निजी क्षेत्र को संलग्न करते हुए अच्छी क्वालिटी के बीजों तक पहुंच को सुधारना और कृषि उत्पादों की ऑनलाइन ट्रेडिंग के लिए राष्ट्रीय कृषि बाजार की शुरुआत करना।
भारत में कृषि की स्थिति
कृषि उत्पादकता कई कारकों पर निर्भर करती है। इनमें कृषि इनपुट्स, जैसे जमीन, पानी, बीज एवं उर्वरकों की उपलब्धता और गुणवत्ता, कृषि ऋण एवं फसल बीमा की सुविधा, कृषि उत्पाद के लिए लाभकारी मूल्यों का आश्वासन, और स्टोरेज एवं मार्केटिंग इंफ्रास्ट्रक्चर इत्यादि शामिल हैं। यह रिपोर्ट भारत में कृषि की स्थिति का विवरण प्रस्तुत करती है। इसके अतिरिक्त कृषि उत्पादन और पैदावार के बाद की गतिविधियों से संबंधित कारकों पर चर्चा करती है।
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