भारतीय कृषि पर 200 शब्दों में निबंध लिखें
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कृषि में फसल उत्पादन, फल और सब्जी की खेती के साथ-साथ फूलों की खेती, पशुधन उत्पादन, मत्स्य पालन, कृषि-वानिकी और वानिकी शामिल हैं। ये सभी उत्पादक गतिविधियाँ हैं। भारत में, कृषि आय राष्ट्रीय आय का 1987-88 में 30.3 प्रतिशत था जोकि पचहत्तर प्रतिशत से अधिक लोगों को रोजगार देती थी। 2007 तक यह आंकड़ा 52% तक पहुंच गया था।
मुख्य आर्थिक गतिविधि होने के बावजूद विकसित राष्ट्रों की तुलना में कृषि में शामिल उत्पादन के कारकों की उत्पादकता बहुत कम है। बहुत दुःख की बात है कि लोगों का पेट भरने वाले किसान को हमारे देश में ज्यादा इज्जत नहीं दी जाती है।
खेती और वानिकी के माध्यम से खाद्य पदार्थों का उत्पादन करना, कृषि कहलाता है। सम्पूर्ण मानव जाति का अस्तित्व कृषि पर ही आश्रित है। हमारे जीवन की मूलभूत आवश्यकता भोजन का निर्माण, कृषि के द्वारा ही संभव होता है। कृषि में फसल उगाने या पशुओं को पालने की प्रथा का वर्णन है।
किसान के रूप में काम करने वाला कोई व्यक्ति कृषि उद्योग में है। कृषि, ‘एग्रीकल्चर’ लैटिन भाषा के दो शब्दों से मिलकर बना है, एग्री+कल्चर। जिसका शाब्दिक अर्थ है एग्री अर्थात “क्षेत्र”, कल्चर अर्थात "खेती" है। भूमि का एक टुकड़ा, या रोपण और उस पर खाद्य पौधों को उगाना, काफी हद तक कृषि का तात्पर्य है।
अर्थशास्त्री, जैसे टी.डब्ल्यू. शुल्ट, जॉन डब्ल्यू. मेलोर, वाल्टर ए.लुईस और अन्य अर्थशास्त्रियों ने यह साबित किया है कि कृषि और कृषक आर्थिक विकास के अग्र-दूत है जो इसके विकास में अत्यधिक योगदान देते है। जैसे औद्योगिक श्रमिकों को मजदूरी के सामानों की आपूर्ति करके, कृषि से वित्त के लिए अधिशेष को हस्तांतरित करके, औद्योगीकरण के लिए, कृषि क्षेत्र के लिए निवेश के रूप में उद्योग के उत्पाद का उपयोग करके और अधिरिक्त श्रम को कृषि से औद्योगिक नौकरियों में स्थानांतरित करके देश के विकास में योगदान दे रहें है।
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