भारतीय कुष्ठ निवारक संघ कहाँ स्थित है
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समाजसेवा के लिए राष्ट्रपति के हाथों पदमश्री पुरस्कार हासिल करने वाले श्री दामोदर गणेश बापट ने आहवान किया है कि प्रत्येक व्यक्ति कम से कम एक घण्टा दीन दुखियों की सेवा में अर्पण करे ताकि भारतीय समाज में सामाजिक समरसता और बंधुत्व भाव मजबूत हो सके. श्री बापट, पदमश्री पुरस्कार प्राप्त करने के बाद स्थानीय संघ कार्यालय जागृति मण्डल में पत्रकारों से मुखातिब हो रहे थे.
बता देवें कि श्री बापट जी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक हैं तथा चांपा में स्थित भारतीय कुष्ट निवारक संघ के संचालक हैं. लगभग 52 सालों से वे कुष्ठ रोगियों की नि:स्वार्थ सेवा कर रहे हैं अत: समाजसेवा के क्षेत्र में कल राष्ट्रपति जी ने उन्हें पदमश्री पुरस्कार से सम्मानित किया है. पत्रकारों से चर्चा करते हुए पदमश्री दामोदर गणेश बापट ने कहा कि यह सम्मान देश के उन कुष्ठ रोगियों के नाम है जो ना सिर्फ रोग से लड रहे हैं बल्कि समाज से बहिष्कृत होने का अभिशाप झेलते हुए समाजसेवा में लगे हैं. उन्होंने कहा कि ऐसे बहुत से पुरस्कार मिले मगर असली पुरस्कार तब मिलेगा जब भारतीय समाज, कुष्ठ रोगियों की सेवा और उन्हें दिल से अपनाने हेतु सामने आएगा.
पदमश्री दामोदर गणेश बापट ने बताया कि 1972 में राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के द्वितीय सरसंघचालक श्री गोलवलकर जी की प्रेरणा से स्वर्गीय सदाशिव गोविंद कात्रेजी ने देश में पहली बार कुष्ठ आश्रम की स्थापना की थी. कात्रेजी खुद कुष्ठ रोगी थे और सामाजिक बहिष्कार होने के कारण उन्होंने ताउम्र कुष्ठ रोगियों की सेवा में जीवन लगा दिया. श्री बापट ने बताया कि जब उन्होंने संघ का प्रचारक बनने का फैसला किया तो मुझे भी कुष्ठ आश्रम में भेजा गया. कात्रेजी के निधन के बाद बापटजी ने आश्रम के संचालन की जिम्मेदारी संभाली और पिछले 45 साल से कुष्ठ रोगियों की सेवा कर रहे हैं. वर्तमान में आश्रम में 200 कुष्ठरोगी निवास करते हैं जबकि इतने सालों में हजारों कुष्ठ रोगियों ने अपना ईलाज कराया है. चांपा स्थित सोंठी के कात्रेनगर का यह आश्रम जनसहयोग से चलता है। श्री बापट जीइ रोगियों को आत्मनिर्भर भी बनाते हैं।