भारतीय काव्यशास्त्र में भाव से अभिप्राय है
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दूसरे अर्थ में, अवयव तत्त्व के रूप में मिलता है। सब कुछ नष्ट हो जाय, व्यर्थ हो जाय पर जो भाव रूप तथा वस्तु रूप में बचा रहे, वही रस है। रस के रूप में जिसकी निष्पत्ति होती है, वह भाव ही है।
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उत्तर :
भाव का अर्थ है "बनना"।
व्याख्या:
- भाव मन की स्थिति है जबकि रस उस भाव से उत्पन्न होने वाला सौंदर्य स्वाद है। रस के अभाव में स्वयं भाव का कोई अर्थ नहीं है। इस प्रकार रस मूल रूप से स्वाद, भावना और आनंद के माध्यम से संवेदनाओं की भीड़ के रूप में भाव का रूप और अभिव्यक्ति है।
- दूसरे शब्दों में, रस प्रमुख भावनात्मक विषय है जिसे दर्शकों में शामिल किया जाता है। जब हम कोई फिल्म देखते हैं, तो एक दुखद दृश्य हमें रुला देता है - वह है रस। रस-भाव वह है जो कलाकार और दर्शकों के बीच संबंध स्थापित करता है।काव्यशास्त्र' काव्य और साहित्य का दर्शन तथा विज्ञान है।
इस प्रकार यह उत्तर है।
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