Hindi, asked by lakshay0kanwar, 1 month ago

भारतीय काव्यशास्त्र में bhavak से अभिप्राय है​

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Answered by prasadayush457
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काव्य हेतु किसी कवि की वह शक्ति है जिससे वह काव्य रचना में समर्थ होता है। इसके अंतर्गत काव्य-सृजन की विविध प्रक्रियाओं का विवेचन किया जाता है। काव्य हेतु दो शब्दों से मिलकर बना है- काव्य और हेतु। जिसमें काव्य का अर्थ 'कविता' और हेतु का अर्थ 'कारण' होता है। इसे काव्य रचना का कारण भी कह सकते हैं। काव्य हेतु को 'काव्य कारण' कहने की भी परंपरा रही है। आचार्य वामन ने काव्य हेतु की जगह 'काव्यांग' शब्द का प्रयोग किया है। मुख्यतः काव्य के तीन हेतु माने गए हैं - प्रतिभा, व्युत्पत्ति (निपुणता) और अभ्यास। भट्टतौत कवि की नवोन्मेषशालिनी बुद्धि (innovative mind) को प्रतिभा कहते हैं - 'प्रज्ञा नवोन्मेषशालिनी प्रतिभा मता'।[१] अभिनवगुप्त के अनुसार अपूर्व वस्तु के निर्माण में सक्षम बुद्धि ही प्रतिभा है - 'प्रतिभा अपूर्व वस्तुनिर्माणक्षमा प्रज्ञा'।[२] इसके कारण कवि नवीन अर्थ से युक्त प्रसन्न पदावली की रचना करता है। व्युत्पत्ति बहुज्ञता अथवा निपुणता को कहते हैं। शास्त्र तथा काव्य के साथ लोकव्यवहार का गहन पर्यालोचन करने के पश्चात कवि में यह गुण समाहित होता है। काव्य रचना की बारंबार आवृत्ति ही अभ्यास है। इसके कारण कवि की रचना परिपक्व और ऊर्जस्वित होती जाती है।

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