भारतीय कलाएँ पाठ 4 कक्षा 11 विषय हिन्दी वितान भाग 1 के प्रश्न उत्तर
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भारतीय कलाएँ पाठ 4 कक्षा 11 विषय हिन्दी वितान भाग 1
- प्राचीनता: भारतीय कला का इतिहास बहुत पुराना है। भारतीय चित्रकला के सबसे पुराने उदाहरण प्रागैतिहासिक काल के हैं जब लोगों ने गुफाओं की दीवारों पर चित्रकारी की थी।
- भीमबेटका की गुफाओं में की गई चित्रकारी 5500 ई.पू. भारतीय कला में अभिव्यक्ति की प्रधानता देखी जा सकती है। शरीर को यथार्थ रूप से चित्रित करने या सौन्दर्य बढ़ाने में कलाकारों ने अपने कौशल का प्रदर्शन नहीं किया है। इसके बजाय, आंतरिक भावनाओं को जगाने का प्रयास किया गया। इसका सबसे सुंदर उदाहरण विशुद्ध भारतीय शैली में बनी बुद्ध की मूर्तियों में देखा जा सकता है। वात्स्यायन ने अपनी पुस्तक कामसूत्र में 64 कलाओं का उल्लेख किया है जिनमें चित्रकला का भी अपना स्थान है। पेंटिंग पेंटिंग का एक अहम हिस्सा है। आइए जानते हैं कि प्रत्येक काल (प्रागैतिहासिक, प्रागैतिहासिक, ऐतिहासिक, मध्यकालीन, साहित्य) में भारतीय चित्रकला की क्या स्थिति थी।
- चंद्रमा की सोलह कलाएं अमृत, मनदा, पुष्प, पुष्टि, तुष्टि, ध्रुति, शाशनी, चंद्रिका, कांति, ज्योत्सना, श्री प्रीति, अंगद, पूर्ण और पूर्णामृत हैं। इसे प्रतिपदा, दूज, एकादशी, पूर्णिमा आदि भी कहते हैं। जिस प्रकार चन्द्रमा में प्रकाश के 16 चरण होते हैं, उसी प्रकार मनुष्य के मन में भी एक ही प्रकाश होता है। सात कलाओं का उल्लेख हो सकता है: कला, वास्तुकला, मूर्तिकला, चित्रकला, साहित्य, संगीत, प्रदर्शन और फिल्म के पारंपरिक उपखंड।
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Answer: भारतीय कला अपनी प्राचीनता और विविधता के लिए जानी जाती है।
Explanation:
"कला" शब्द जिस रूप में आज बहुत व्यापक और बहु अर्थ वाला हो गया है, वह प्राचीन काल में उसका एक छोटा सा अंश भी नहीं था। ऐतिहासिक काल को छोड़कर प्रागैतिहासिक काल को देखें तो विभिन्न नदियों की घाटियों में खुदाई में पुरातत्वविदों को मिले असंख्य पाषाण उपकरण भारत के आदिम लोगों की कलात्मक प्रवृत्ति के प्रमाण हैं। विभिन्न उद्देश्यों के अनुरूप विभिन्न तकनीकों का उपयोग करके पत्थर के ब्लॉक को आकार दिया गया। हस्तकुठार, स्क्रेपर्स, वेधक, वेध और ड्रिल आदि पत्थर के औजार न केवल उपयोगिता की दृष्टि से महत्वपूर्ण थे, बल्कि उनका कलात्मक पक्ष भी जाना जाता है। जैसे-जैसे मनुष्य सभ्य होता गया, उसकी जीवन शैली के साथ-साथ उसका कलात्मक पक्ष भी मजबूत होता गया। जहाँ एक ओर मिट्टी के बर्तनों, भवनों और अन्य उपयोगी वस्तुओं के उत्पादन में वृद्धि हुई, वहीं दूसरी ओर आभूषण, मूर्तिकला, मुहर बनाना, गुफा चित्रकला आदि का विकास हुआ। सिंधु सभ्यता (हड़प्पा सभ्यता) का विकास हुआ भारत का उत्तर-पश्चिमी भाग भारतीय इतिहास के प्रारम्भिक काल में कला की परिपक्वता का जीता जागता प्रमाण है। करीब 1000 केंद्रों से प्राप्त इस सभ्यता के अवशेषों में कई ऐसे तथ्य सामने आए हैं, जिसमें बर्बर मन यह मानने को मजबूर हो जाता है कि हमारे पूर्वज वाकई उच्च कोटि के कलाकार थे।
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