Hindi, asked by vanshgautam, 1 year ago

भारतीय krishak essay​

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Answered by kanchisingh66
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Answer:

”जब तुम, मुझे पैरों से रौदंते हो

तथा हल के फाल से विदीर्ण करते हो

धन-धान्य बनकर मातृ-रूपा हो जाती हूँ ।”

भारत एक कृषि प्रधान देश है । यहाँ के अधिकांश लोग आज भी अपनी जीविका के लिए कृषि पर निर्भर हैं । दूसरे शब्दों में हमारी अर्थव्यवस्था का प्रमुख आधार कृषि ही है । इन परिस्थितियों में कृषक की भूमिका अत्यधिक महत्वपूर्ण हो जाती है ।

परंतु देश के लिए यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि स्वतंत्रता प्राप्ति के पाँच दशकों के बाद भी भारतीय कृषकों की दशा में बहुत अधिक परिवर्तन देखने को नहीं मिला है । स्वतंत्रता से पूर्व भारतीय कृषक की स्थिति अत्यंत दयनीय थी । तब देश अंग्रेजों के आधिपत्य में था जिनका मूल उद्‌देश्य व्यापारिक था ।

उन्होंने कृषकों की दशा में सुधार हेतु प्रयास नहीं किए । कृषकों की दशा में सुधार हेतु कई बार कानून पारित किए गए । परंतु वास्तविक रूप में उनका कभी भी पूर्णतया पालन नहीं किया गया । किसानों को अपने उत्पाद का एक बड़ा भाग कर के रूप में सरकार को देना पड़ता था। सूखा तथा अन्य प्राकृतिक आपदाओं के समय उनकी स्थिति अत्यंत दयनीय हो जाती थी ।

कर अदा करने के लिए वे सेठ-साहूकारों से कर्ज लेते थे परंतु उसे वापस न करने की स्थिति में जीवन पर्यंत उसका बोझ ढोते रहते थे । अनेकों कृषकों को अत्यंत कम वेतन पर मजदूरी के लिए विवश होना पड़ता था ।

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