Hindi, asked by nd445946gmailcom, 4 hours ago

भारतीय लोकतंत्र की सफलता के लिए किन्ही चार आवश्यक दशाओ का वर्णन कीजिए​

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Answered by arti260282
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अपने 71 वर्षों के सफर में भारत का लोकतंत्र कितना सफल रहा, यह देखने के लिये इन वर्षों का इतिहास, देश की उपलब्धियाँ, देश का विकास, सामाजिक-आर्थिक दशा, लोगों की खुशहाली आदि पर गौर करने की ज़रूरत है। भारत का लोकतंत्र बहुलतावाद पर आधारित राष्ट्रीयता की कल्पना पर आधारित है। यहाँ की विविधता ही इसकी खूबसूरती है। सिर्फ दक्षिण एशिया को ही लें तो, भारत और क्षेत्र के अन्य देशों के बीच यह अंतर है कि पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, भूटान और श्रीलंका में उनके विशिष्ट धार्मिक समुदायों का दबदबा है। लेकिन, धर्मनिरपेक्षता भारत का एक बेहद सशक्त पक्ष रहा है। सूचकांक में भारत का पड़ोसी देशों से बेहतर स्थिति में होने के पीछे यह एक बड़ा कारण है।बहुत कुछ करना बाकी है

लोकतंत्र की कामयाबी के लिये ज़रूरी है कि सरकार अपने निहित स्वार्थों से ऊपर उठकर जनता की आकांक्षाओं को पूरा करने की कोशिश करे। विकास के तमाम दावों के बावजूद देश में गरीबी, भुखमरी, बेरोज़गारी आदि बेहद गंभीर समस्याएँ है। आज़ादी के 71 सालों बाद भी करोड़ों लोग दयनीय जीवन जीने को मजबूर हैं।

विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका लोकतांत्रिक शासन-पद्धति के अंग होते हैं, लेकिन इन तीनों में ही अव्यवस्था का बोलबाला है और ये बेहद दबाव में काम करती हैं।

जनता की भागीदारी की कमी की वज़ह से ही हमारा लोकतंत्र महज एक ‘चुनावी लोकतंत्र’ बनकर रह गया है। चुनाव में मतदान का प्रयोग एक अधिकार के रूप में नहीं, एक कर्त्तव्य के रूप में किया जाने लगा है।

लोकतांत्रिक व्यवस्था को लेकर बुनियादी सवाल कहीं पीछे छूट गए हैं और लोकतंत्र में जनता की भागीदारी और लोकतांत्रिक संस्कृति को विकसित करने के लिये पहले बुनियादी समस्याओं को हल किया जाना ज़रूरी है ताकि लोकतांत्रिक व्यवस्था को सफल बनाया जा सके।

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