भारतीय मौसम की स्थिति को नियंत्रित करने वाले कारकों पर चर्चा करें
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भारत की जलवायु को नियंत्रित करने वाले अनेक कारक हैं जिन्हें मोटे तौर पर दो वर्गों में बांटा जा सकता है-
स्थिति तथा उच्चावच संबंधी कारक तथा
वायुदाब एवं पवन संबंधी कारक
स्थिति एवं उच्चावच संबंधी कारक
अक्षांश–
भारत की मुख्य भूमि का अक्षांशीय विस्तार – 6°4′ उत्तरी अक्षांश से
37°6′ उत्तरी अक्षांश तक एवं देशांतरीय विस्तार 68°7′ पूर्वी देशांतर से
97°25′ पूर्वी देशांतर तक हैं.
भारत में कर्क रेखा पूर्व पश्चिम दिशा में देश के मध्य भाग से गुजरती
है. इस प्रकार भारत का उत्तरी भाग शीतोष्ण कटिबंध में और कर्क रेखा के
दक्षिण में स्थित भाग उष्ण कटिबंध में पड़ता है.
उष्ण कटिबंध भूमध्य रेखा के अधिक निकट होने के कारण सारा साल ऊंचे तापमान और कम दैनिक और वार्षिक तापांतर का अनुभव करता है.
कर्क रेखा से उत्तर स्थित भाग में भूमध्य रेखा से दूर होने के कारण उच्च दैनिक तथा वार्षिक तापांतर के साथ विषम जलवायु पाई जाती है.
वायुदाब एवं पवनों से जुड़े कारक
भारत की स्थानीय जलवायु में पाई जाने वाली विविधता को समझने के लिए निम्नलिखित तीन कारकों की क्रिया विधि को जानना आवश्यक है
वायुदाब एवं पवनों का धरातल पर वितरण.
भूमंडलीय मौसम को नियंत्रित करने वाले कारकों एवं विभिन्न वायु
संहतियों एवं जेट प्रवाह के अंतर्वाह द्वारा उत्पन्न उपरी वायु संचरण और
शीतकाल में पश्चिमी विक्षोभ तथा दक्षिणी पश्चिमी मानसून काल में
उष्णकटिबंधीय अवदाबों के भारत में अंतर वहन के कारण उत्पन्न वर्षा की
अनुकूल दशाएं.