Social Sciences, asked by by318026, 4 months ago

भारतीय मुद्रा निर्गमन किस प्रणाली पर आधारित
है?
(A) थोक मूल्य सूचकांक पर
(B) मुद्रा स्फीति
(C) न्यूनत्तम कोष प्रणाली
(D) इनमें से कोई नहीं​

Answers

Answered by farhaanaarif84
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मुद्रास्फीति (inflation) या महंगाई किसी अर्थव्यवस्था में समय के साथ विभिन्न माल और सेवाओं की कीमतों (मूल्यों) में होने वाली एक सामान्य बढ़ौतरी को कहा जाता है। जब सामान्य मूल्य बढ़ते हैं, तब मुद्रा की हर ईकाई की क्रय शक्ति purchasing power में कमी होती है, अर्थात् पैसे की किसी मात्रा से पहले जितनी माल या सेवाओं की मात्रा आती थी, उसमें कमी हो जाती है। मुद्रास्फीति के ऊँचे दर या अतिस्फीति की स्थिति जनता के लिए बहुत हानिकारक होती है और निर्धनता फैलाने का काम करती है। अर्थशास्त्री मानते हैं कि यह बुरी अवस्थाएँ मुद्रा आपूर्ति (money supply) के अतिशय से उत्पन्न होती है, यानि अर्थव्यवस्था की तुलना में आवश्यकता से अधिक पैसा छापने से ज्न्म लेती है। मुद्रास्फीति का विपरीत अपस्फीति (deflation) होता है, यानि वह स्थिति जिसमें समय के साथ-साथ माल और सेवाओं की कीमतें गिरती हैं।[1][2]

Answered by aditi7327
0

Answer:

करेंसी ऑर्डिनेंस 1940 के अंतर्गत जारी एक रुपये के नोट भी विधि मान्य मुद्रा हैं और उन्हें भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम,1934 के सभी प्रयोजनों हेतु रुपये सिक्के के रूप में माना गया हैं। क्योंकि सरकार द्वारा जारी रुपये सिक्के भारत सरकार की देयताओं में आते हैं, इसलिए सरकार द्वारा जारी एक रुपया भी भारत सरकार की देयता है।

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