Hindi, asked by mpmoresai80, 1 year ago

भारतीय महिला अंतरिक्ष यात्री निंबध हिंदी
1.कल्पना चावला
2.सुनिता विल्याम्स

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Answered by vark
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1.कल्पना चावला का जन्म सन् १९६२ मे हरियाणा के करनाल शहर मे एक मध्य वर्गीय परिवार मे हुआ था । उसकी पिता का नाम श्री बनारसी लाल चावला तथा और माता का नाम संज्योती था । वह अपने परिवार के चार भाई बहनों मे सबसे छोटी थी । घर मे सब उसे प्यार से मोटो कहते थे । कल्पना की प्रारंभिक पढाई लिखाई टैगोर काल निकेतन मे हुई । कल्पना जब आठवी कक्षा मे पहुची तो उसने इंजिनियर बनने की इच्छा प्रकट की । उसकी माँ ने अपनी बेटी की भावनाओ को समझा और आगे बढने मे मदद की ।

कल्पना का सर्वाधिक महत्व पूर्ण गुण था – उसकी लगन और जुझारू प्रवर्ती । प्रफुल्ल स्वभाव तथा बढते अनुभव के साथ कल्पना न तो काम करने मे आलसी थी और न असफलता मे घबराने वाली थी । धीरे-धीरे निश्चयपूर्वक युवती कल्पना ने स्त्री – पुरुष के भेद-भाव से उसपर उठ कर काम किया तथा कक्षा मे अकेली छात्रा होने पर भी उसने अपनी अलग छाप छोडी । अपनी उच्च शिक्षा के लिये कल्पना ने अमेरिका जाने का मन बना लिया । उसने सदा अपनी महत्वाकाक्षा को मन मे सजाए रखा ।

जिसका दायित्व अर्रो डायनामिक्स के कारण अधिकाधिक प्रयोग की तकनीक तैयार करना और उसे लागू करना था ।

अंतरिक्ष में गुरुत्वकर्षण में कमी के कारण मानव शरीर के सभी अंग स्वता क्रियाशील होने लगते है । कल्पना को उन क्रियाओ का अनुसरण कर उनका अध्यन करना था । इसमें भी कल्पना व जीन पियरे की टोली सबसे अच्छी रही जिसने सबको आश्चर्य में डाल दिया । नासा के अंतरिक्ष अभियान कार्यक्रम में भाग लेने की इच्छा रखने वालो की कमी नहीं थी । नासा अंतरिक्षा यात्रा के लिये जाने का गौरव विरले ही लोगो के भाग्य में होता है और कल्पना ने इसे पप्राप्त किया ।

पहली बार अंतरिक्ष यात्रा का स्वपन १९ नवम्बर १९९७ को भारतीय समय के अनुसार लगभग २ बजे एस.टी.एस– ८७ अंतरिक्ष यान के द्वारा पूरा हुआ । कल्पना के लिए यह अनुभव स्वयं में विनम्रता व जागरूकता लिए हुआ था कि किस प्रकार पृथ्वी के सौन्दर्य एवं उसमें उपलब्ध धरोहरों को संजोये रखा जा सकता हे ।

सभी तरह के अनुसंधान तथा विचार – विमर्श के उपरांत वापसी के समय पृथ्वी के वायुमंडल मे अंतरिक्ष यान के प्रवेश के समय जिस तरह की भयंकर घटना घटी वह अब इतिहास की बात हो गई । नासा तथा सम्पूर्ण विश्व के लिये यह एक दर्दनाक घटना थी । कोलंबिया अंतरिक्ष यान पृथ्वी की कक्षा मे प्रवेश करते ही टूटकर बिखर गया कल्पना सहित उसके छ: साथियों की दुर्भाग्यपूर्ण मृत्यु से चारो ओर सन्नाटा छा गया ।

इन सात अंतरिक्ष यात्रियों की आत्मा, जो फरवरी २००३ की मनहूस सुबह को शून्य मे विलीन हुई, सदैव संसार मे विदयमान रहेगी । करनाल से अंतरिक्ष तक की कल्पना की यात्रा सदा हमारे साथ रहेगी ।

2.भारत और भारतीय मूल की महिलाएँ आज विभिन्न क्षेत्रों में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रही हैं । अब उनके लिए अन्तरिक्ष भी दुर्गम नहीं रह गया है । भारत में जन्मी कल्पना चावला के बाद भारतीय मूल की सुनीता विलियम्स ने सफलतापूर्वक अन्तरिक्ष यात्रा पूर्ण करके भारत को गौरवान्वित किया है ।

सुनीता विलियम्स का जन्म 19 सितम्बर, 1965 को संयुक्त राष्ट्र अमेरिका के ओहियो प्रान्त में हुआ था । उनके पिता का नाम दीपक पाण्ड्या और माता का नाम बोनी पाण्ड्या है । उनके पिता मूल रूप से भारत के गुजरात राज्य के रहने वाले हैं । गुजरात के मेहसाणा जिले में स्थित झुलासन उनका पैतृक गाँव है ।

जन्म से ही अमेरिकी नागरिक सुनीता विलियम्स का भारत से इतना ही सम्बन्ध है । वर्ष 1983 में स्नातक की उपाधि प्राप्त करने के बाद सुनीता ने वर्ष 1987 में यूनाइटेड स्टेट्स नेवल एकेडक से भौतिक विज्ञान की डिग्री अर्जित की । इसके बाद उन्होंने वर्ष 1987 में ही अमेरिकी नौसेना में कार्यभार सँभाला ।

उनकी पहली अन्तरिक्ष उड़ान 9 दिसम्बर, 2006 को डिस्कवरी यान के साथ शुरू हुई थी । यह यान 11 दिसम्बर, 2006 को उन्हें लेकर अन्तर्राष्ट्रीय स्पेस स्टेशन पर पहुँचा । 192 दिन अन्तरिक्ष में रहने के बाद 22 जून, 2007 को धरती पर सुनीता की वापसी हुई ।

इस दौरान उन्होंने अपने 14 अन्तरिक्ष साथियों के साथ नासा द्वारा निर्देशित कार्यक्रमों को अंजाम दिया । विलियम्स का दूसरा अन्तरिक्ष अभियान 14 जुलाई, 2012 को शुरू हुआ । इस बार उन्होंने अन्तर्राष्ट्रीय स्पेस सेण्टर में 4 महीने व्यतीत किए और अनेक अनुसन्धान किए । इस बार उनकी वापसी 18 नवम्बर, 2012 को हुई । सौभाग्य से उनकी दोनों ही अन्तरिक्ष यात्राएँ सफल रहीं ।

अपने अन्तरिक्ष अभियानों के दौरान सुनीता ने अन्तरिक्ष में चहलकदमी भी की । उनके नाम अन्तरिक्ष में 50 घण्टे, 40 मिनट चहलकदमी करने का रिकॉर्ड है और स्पेस में चलने वाली वह पाँचवीं सबसे अधिक अनुभवी अन्तरिक्ष यात्री हैं ।

मुझे विश्वास है कि भारत के लोग मुझे अन्तरिक्ष में देखकर काफी प्रसन्न होंगे । मैं चाहती हूँ कि भारत के लोग भी आगे बढ़ने के ख्वाब देखे । नि:सन्देह अन्तरिक्ष में 322 दिन बिताने का रिकॉर्ड बनाने वाली सुनीता विलियम्स के ये शब्द काफी प्रेरणाप्रद हैं ।

कल्पना चावला के बाद अन्तरिक्ष यात्री के रूप में नाम कमाने बाली सुनीता विलियम्स पर पूरे भारत को गर्व है और उम्मीद करते हैं कि आने बाली पीढ़ियाँ उनसे प्रेरणा लेते हुए अन्तरिक्ष प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत का नाम रोशन करेंगी ।


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mpmoresai80: You win king
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