भारतीय महापुरुष का जीवनवृत्त लिरिवए
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किसी भी युवा को जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा महापुरुषों के जीवन से ही मिलती है. कोई भी ऐसा व्यक्ति जिसने अपने जीवन में हमेशा सही रास्ते पर रहते हुए महान उपलब्धि हासिल की है, वो हमारे लिए महापुरुष सदृश है.
भगवान कृष्ण ने गीता में कहा है कि जहाँ कहीं भी किसी गुण का अत्यन्त विकास हुआ है, उस वस्तु में ईश्वराँश समझ कर उसे पुण्य दृष्टि से देखना चाहिए। उसका सम्मान करना चाहिए। ठीक इसी तरह ये महापुरुष भी तेज, शोभा, प्रभाव या किसी अन्य गुण के अत्यंत विकसित होने से ही प्रसिद्ध होते हैं। वह महापुरुष चाहे योद्धा हो, चाहे कवि या तत्ववेत्ता हो, चाहे गृहस्थ हो या राजा हो, वह कोई क्यों न हो, वह हमारे लिये वन्दनीय ही होगा। प्राचीन काल में हम अपने पूर्वजों की, विशेष कर जिन्होंने कोई बड़ा कार्य किया था, उनकी पूजा करते थे। एक दृष्टि से यह कार्य सर्वथा सराहनीय भी है। जहाँ तेज है, प्रभाव है वहाँ हम अवश्य नतमस्तक हुए हैं, और आदर-भाव दर्शाते आये हैं। जग में एक परमेश्वर की सत्ता मानते हुये भी हम तेजस्वी पुरुषों को देवदूत या परमेश्वर का अवतार मानते आये हैं। हमारे हिन्दू-धर्म की यह प्रवृत्ति ही है।
किसी भी व्यक्तित्व के जीवन का वृतान्त ‘जीवनी’ कहलाता है। प्राचीन महापुरुषों के जीवन के प्रसंगों को एक सुन्दर पठनीय रूप में प्रस्तुत करना ही महापुरुषों की जीवनी कहलाता है. अगर हम इन महापुरुषों की जीवनी से अपरचित रहते हैं तो यह मानिये कि हम जीवन-भर निरंतर बाल्यावस्था में ही रहते हैं।
महापुरुषों की जीवनियाँ हमें याद दिलाती हैं कि हम भी अपना जीवन महान बना सकते हैं और मरते समय अपने पदचिन्ह समय की स्थ पर छोड़ सकते हैं।