भारतीय नागरिकता संशोधन विधेयक के सम्बन्ध में विचार परक लेख लिखो।
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Explanation:
भारतीय राष्ट्रिकता विधि (इंडियन नेशनैलिटी लॉ) के अनुसार भारत का संविधान पूरे देश के लिए एकमात्र नागरिकता उपलब्ध कराता है। नागरिकता से सम्बन्धित प्रावधानों को भारत के संविधान के द्वितीय भाग के अनुच्छेद 5 से 11 में दिया गया है। प्रासंगिक भारतीय कानून नागरिकता अधिनियम 1955 है, जिसे नागरिकता (संशोधन) अधिनियम 1986, नागरिकता (संशोधन) अधिनियम 1992, नागरिकता (संशोधन) अधिनियम 2003 और नागरिकता (संशोधन) अध्यादेश 2005 के द्वारा संशोधित किया गया है, नागरिकता (संशोधन) अधिनियम 2003 को 7 जनवरी 2004 को भारत के राष्ट्रपति के द्वारा स्वीकृति प्रदान की गयी और 3 दिसम्बर 2004 को यह अस्तित्व में आया। नागरिकता (संशोधन) अध्यादेश 2005 को भारत के राष्ट्रपति द्वारा प्रख्यापित किया गया था और यह 28 जून 2005 को अस्तित्व में आया।
इन सुधारों के बाद, भारतीय राष्ट्रीयता कानून, क्षेत्र के भीतर जन्म के अधिकार के द्वारा नागरिकता (jus soli) के विपरीत काफी सीमा तक रक्त के सम्बन्ध के द्वारा नागरिकता (jus sanguinis) का अनुसरण करता है।