भारतीय नगरों के विकास के सहायक परिस्थितियों का उदाहरण सहित वर्णन कीजिए वर्णन कीजिए
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नगर वह अधिवासीय क्षेत्र है जहाँ कार्यिक विविधता और गहनता के साथ ही कार्यिक विशेषीकरण पाया जाता है। नगर की कार्यिक जनसंख्या गैर प्राथमिक कार्यों में संलग्न होती है लेकिन विभिन्न प्रकार के आर्थिक कार्यों के अनुरूप विशेष कार्यिक खण्डों का विकास होता है। पुनः आर्थिक आधार पर विभिन्न आय वर्गों के अधिवासीय खण्ड भी विकसित होते हैं। इस प्रकार नगरों की आंतरिक संरचना एवं आकारिकी विशिष्ट होती है जो कार्यिक खण्डों एवं नगर विन्यास प्रणाली से निर्धारित होती है।
विकसित देशों में जहाँ अधिकांश नगर नियोजित विकास प्रक्रिया से विकसित हुए हैं वहाँ नगरों की आंतरिक संरचना अधिक स्पष्ट तथा परिभाषित है लेकिन भारत जैसे विकासशील देशों में जहाँ अधिकांश नगरों का विकास जैविक विन्यास प्रणाली पर आधारित है वहाँ कार्यिक खण्डों एवं अधिवासीय खण्डों का परिभाषित विकास नहीं पाया जाता है और अधिकांश नगरों की आंतरिक संरचना में परिभाषित नगरीय संरचना के मिश्रित गुण पाए जाते हैं।