भारतीय नदियों की दयनीय दशा में सुधार' essay
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नदियां सदैव ही जीवनदायिनी रही हैं। प्रकृति का अभिन्न अंग हैं नदियाँ। नदियाँ अपने साथ बारिश का जल एकत्रित उसे भू-भाग में पहुचती हैं। एशिया में गंगा, ब्रह्मपुत्र, यमुना, आमूर, लेना, कावेरी, नर्बदा, सिंघु, यांगत्सी नदियाँ, अफ्रीका नील, कांगो, नाइजर, जम्बेजी नदियाँ, उत्तरी अमेरिका में मिसिसिपी, हडसन, डेलावेयर, मैकेंजी नदियाँ, दक्षिणी अमेरिका में आमेजन नदी, यूरोप में वोल्गा, टेम्स एवं आस्ट्रेलिया में मररे डार्लिंग विश्व की प्रमुख नदियाँ हैं।
दिल्ली में यमुना, कानपुर में गंगा एवं मुम्बई में मीठी नदी अत्यंत प्रदूषित हैं। इन नदियों का पानी ही नहीं वरण आसपास की भूमि भी बंजर बनती जा रही है। इस से देश की अर्थव्यवस्था एवं नागरिकों के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। हम नदियों को प्रदूषित करने का कारक बनते हैं तो कर्मकांडों से हमे खुशी नहीं मिलने वाली।नदियों से जीवन के लिए अत्यन्त आवश्यक स्वच्छ जल प्राप्त होता है यही कारण है कि अधिकांश प्राचीन सभ्यताएं, जनजातियाँ नदियों के समीप ही विकसित हुईं। भारत की प्राचीन सिंधु घाटी सभ्यता सिंधु नदी के पास विकसित हुई। सम्पूर्ण विश्व के बहुत बड़े भाग में, पीने का पानी और घरेलू उपयोग के लिए पानी, नदियों के द्वारा ही प्राप्त किया जाता है। आर्थिक दृष्टि से भी नदियां बहुत उपयोगी होती है क्योंकि उद्योगों के लिए आवश्यक जल नदियों से सरलता से प्राप्त किया जा सकता है। कृषि के लिए सिंचाई हेतु आवश्यक पानी नदियों द्वारा प्रदान किया जाता है। नदियाँ खेती के लिए लाभदायक उपजाऊ जलोढ़ मिट्टी का उत्तम स्त्रोत होती हैं। नदियां न केवल जल प्रदान करती है बल्कि घरेलू एवं उद्योगिक गंदे व अवशिष्ट पानी को अपने साथ बहकर ले भी जाती है। बड़ी नदियों का उपयोग जल परिवहन के रूप मे भी किया जा रहा है। नदियों में मत्स्य पालन से मछली के रूप मे खाद्य पदार्थ भी प्राप्त होते हैं। नदियों पर बांध बनाकर उनसे पन बिजलीघर बनने से बिजली प्राप्त होती है। पर्यटकों के लिए भी नदियों से कई मनोरंजन के साधन जैसे बोटिंग एवं रिवर राफ्टिंग आदि से पर्यटन उद्योग को बढ़ावा मिलता है।
हिंदू धर्म में लोग जिस तरह आसमान में सप्त ऋषि के रूप में सात तारों को पूज्य मानते हैं, उसी तरह पृथ्वी पर सात नदियों को पवित्र मानते हैं। जिस प्रकार आसमान में ऋषि भारद्वाज, ऋषि वशिष्ठ, ऋषि विश्वामित्र, ऋषि गौतम, ऋषि अगत्स्य, ऋषि अत्रि एवं ऋषि जमदग्नि अपने भक्तों को आशीर्वाद देने के लिए विराजमान हैं, उसी तरह पृथ्वी पर सात नदियां गंगा, यमुना, सरस्वती, नर्मदा, कावेरी, शिप्रा एवं गोदावरी अपने भक्तों की सुख एवं समृद्धि का प्रतीक मानी जाती हैं। गंगा नदी को स्वर्ग लोक से पृथ्वी पर लाने के लिए राजा भगीरथ द्वारा भगवान महादेव के तप की पौराणिक कथा पूरे देश में लोकप्रिय है।देश में नदियों के योगदान एवं महत्व का अनुमान इसी तथ्य से लगाया जा सकता है कि वाराणसी आज विश्व के प्राचीनतम नगर एवं प्राचीनतम जीवित सभ्यता के रूप में जाना जाता है और वाराणसी गंगा के तट पर बसा हुआ है। आज वाराणसी विश्व में धार्मिक, शैक्षिक, पर्यटन, सांस्कृतिक एवं व्यापारिक नगर के रूप में प्रतिष्ठित है। इसके अलावा प्रयाग, अयोध्या, मथुरा, नासिक, उज्जैन, गुवाहाटी, गया, पटना आदि सभी प्रमुख प्राचीन शहर नदियों के किनारे ही बसे हुए हैं। इसी तरह दिल्ली, कानपुर, लखनऊ, अहमदाबाद, सूरत, हैदराबाद, मैसूर, हुबली आदि आधुनिक नगर भी नदियों के तट पर ही बसे हुए हैं।
इससे स्पष्ट है कि भारत में प्राचीन काल से ही नदियों का अत्यधिक महत्व रहा है
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