Economy, asked by nitinkumar7210228257, 11 months ago

भारतीय रिजर्व बैंक ने CRR में 0.25% की मी किया । क्या यह कदम मुद्रास्फीति को नियंत्रित करेगा ।

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Answered by prabhataswale0504200
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Answer:

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने रेपो रेट में एक-चौथाई फीसदी (0.25 फीसदी) की कमी कर दी है. यह एलान आरबीआई ने गुरुवार को किया है. अब रेपो रेट 6 फीसदी से घटकर 5.75 फीसदी पर आ गया है. इससे होम लोन सहित दूसरे लोन सस्ते होने का रास्ता खुल गया है. इस बार ज्यादातर जानकारों ने रेपो रेट में 0.25 फीसदी कमी का अनुमान जताया था. आम लोगों को केंद्रीय बैंक ने एक और बड़ी राहत दी है. उसने एनईएफटी और आरटीईजीएस से फंड ट्रांसफर पर लगने वाली फीस खत्म कर दी है.

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने रेपो रेट में एक-चौथाई फीसदी (0.25 फीसदी) की कमी कर दी है. यह एलान आरबीआई ने गुरुवार को किया है. अब रेपो रेट 6 फीसदी से घटकर 5.75 फीसदी पर आ गया है. इससे होम लोन सहित दूसरे लोन सस्ते होने का रास्ता खुल गया है. इस बार ज्यादातर जानकारों ने रेपो रेट में 0.25 फीसदी कमी का अनुमान जताया था. आम लोगों को केंद्रीय बैंक ने एक और बड़ी राहत दी है. उसने एनईएफटी और आरटीईजीएस से फंड ट्रांसफर पर लगने वाली फीस खत्म कर दी है.

एमपीसी के सभी सदस्य रेट घटाने के पक्ष में

आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने तीन दिन की बैठक के बाद यह फैसला लिया है. इस समिति में छह सदस्य है. इस बार ज्यादातर सर्वे में रेपो रेट में कटौती का अनुमान जताया गया था. ब्लूमबर्ग के सर्वे में शामिल 43 में से 31 अर्थशास्त्रियों ने ब्याज दर में कटौती का अनुमान जताया था. कुछ जानकारों ने 0.35 फीसदी कमी की भी उम्मीद जाताई थी. मगर आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास की अगुवाई वाली एमपीसी ने कटौती को 25 बेसिस अंक तक ही सीमित रखा है.

इस बार खास बात यह है कि एमपीसी के सभी सदस्यों ने रेपो में कटौती के पक्ष में मतदान किया. एमपीसी में छह सदस्य शामिल हैं. इस साल रेपो रेट में यह तीसरी कमी है. इस साल रेपो रेट 0.75 फीसदी घटाया जा चुका है.

केंद्रीय बैंक अपना रुख 'तटस्थ' किया

इस बार एमपीएसी ने अपने रुख को 'एकोमोडेटिव' से बदलकर न्यूट्रल यानी तटस्थ कर दिया है. रेपो वह रेट है, जिस पर बैंक कर्ज की अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए आरबीआई से कर्ज लेते हैं. आरबीआई रेपो में कमी से बैंकों को यह मैसेज देता है कि उन्हें आम लोगों और कंपनियों के लिए कर्ज को सस्ता बनाना चाहिए. लेकिन, ऐसा देखा गया है कि रेपो में कटौती के मुताबिक बैंक ग्राहकों को सस्ता कर्ज नहीं देते हैं.

सीआरआर में बदलाव नहीं

एमपीसी ने कैश रिजर्व रेशियो (सीआरआर) 4 फीसदी पर अपरिवर्तित बनाए रखा है. उसने अपने बयान में कहा है, "प्राइवेट कंजम्प्शन ग्रोथ में सुस्ती के साथ ही निवेश गतिविधियों में तेज गिरावट देखी गई है, जो चिंता का विषय है. मुद्रास्फीति की दर एमपीसी के लक्ष्य से नीचे बनी हुई है. पिछली दो बार की मौद्रिक समीक्षा में रेट में कमी के बाद भी ऐसा देखने को मिला है."

जीडीपी ग्रोथ रेट का अनुमान घटाया

केंद्रीय बैंक की एमपीसी ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए जीडीपी ग्रोथ रेट के अनुमान को 7.2 फीसदी से घटाकर 7 फीसदी कर दिया है. पिछली मौद्रिक समीक्षा में एमपीसी ने इस वित्त वर्ष के दौरान जीडीपी का ग्रोथ रेट 7.2 फीसदी रहने का अनुमान जताया था. केंद्रीय बैंक का मानना है कि इस वित्त वर्ष की पहली छमाही में ग्रोथ रेट 6.4 से 6.7 फीसदी रहेगा. दूसरी छमाही में ग्रोथ रेट के 7.2 से 7.5 फीसदी रहने का अनुमान है.

शेयर बाजार में गिरावट बढ़ी

रेपो रेट में कमी के बाद शेयर बाजार में गिरावट बढ़ी है. माना जा रहा है कि रेपो रेट में कमी के बाद शेयर बाजार में मुनाफावसूली हुई, जिससे शेयर बाजारों में गिरावट बढ़ गई. बाजार की गिरावट की यह भी वजह हो सकती है कि बाजार को रेपो में आधा फीसदी की गिरावट की उम्मीद थी. ऐसे में एक चौथाई फीसदी की कमी से बाजार को थोड़ी मायूसी हुई है. करीब 12:34 बजे नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 101 अंक गिरकर 11,919 अंक पर था. बीएसई का सेंसेक्स 290 अंक गिरकर 39,785 अंक पर था.

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