भारतीय रेलवे की इतिहास 100 लाइन में
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भारतीय रेल के 166 साल: हर दिन सफर पर निकलती हैं 14 हजार ट्रेनें .
देश में रेल की शुरुआत की कहानी दिलचस्प है. भारत में रेल का पहला कदम पड़ा 1851 में. देश में ब्रिटिश राज था और ब्रिटिश शासकों ने अपनी प्रशासनिक सुविधा बढ़ाने के लिए देश में रेल की नींव डाली. शुरुआत बहुत ही मामूली तौर पर हुई. 16 अप्रैल 1853 को पहली ट्रेन ने मुंबई से लेकर ठाणे तक की 34 किलोमीटर लंबी दूरी तय की. सफर छोटा था लेकिन इस छोटे से सफर ने भारतीय रेलवे के लंबे सफर की नींव रखी.
भारत में रेलवे के विकास का प्रयास इसके पहले भी शुरू हो चुका था. सबसे पहले 1844 में उस वक्त के गर्वनर जनरल लार्ड हार्डिंग ने रेल व्यवस्था के निर्माण का प्रस्ताव रखा था. इसी कड़ी में 1851 में रुड़की में कुछ निर्माण कार्य में माल ढुलाई के लिए रेलगाड़ी का इस्तेमाल हुआ. 22 दिसंबर 1851 को रुड़की में देश की पहली ट्रेन जो कि मालगाड़ी थी, को रेल का शुरुआती कदम माना जा सकता है.
लेकिन एतिहासिक नजरिए से पहली ट्रेन 1853 में ही चली. जिसकी चर्चा उस वक्त ब्रिटेन के अखबारों में भी की गई. 1853 में शुरु हुई रेल ने रफ्तार पकड़ी और रेल का विकास होता गया. ईस्ट इंडिया कंपनी ने सिर्फ रेल की शुरुआत ही नहीं की. बल्कि इसे देश के हर प्रांत से जोड़ने का काम किया. दक्षिण में 1 जुलाई 1856 को मद्रास रेलवे कंपनी की स्थापना हुई और इसके साथ ही दक्षिणी भारत में भी रेलवे व्यवस्था का विकास होना शुरू हुआ.1853 से शुरू हुआ 34 किलोमीटर का सफर. 1875 में 9100 किलोमीटर का हो गया. उसके बाद 1900 में रेलवे का विस्तार 38,640 किलोमीटर तक का हो गया और आजादी तक आते-आते विस्तार का दायरा बढ़कर 49,323 किलोमीटर तक जा पहुंचा.
भारतीय रेलवे ने आजादी के बाद भी विकास किया. लेकिन विस्तार का दायरा उतना नहीं रहा. वर्तमान समय में भारत में रेलमार्गों की लंबाई 63 हजार किलोमीटर से कुछ ज्यादा की है. आजादी के बाद रेलमार्गों की लंबाई में मामूली तौर पर विस्तार हुआ. इस नजरिए से ये अभी तक कहा जाता है कि भारत में रेल अंग्रेजों की देन है.......
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