History, asked by devilgirl590, 1 month ago

भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में वामपंथियों की भूमिका को रेखांकित करें।​

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Answered by ramroopbharati
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वामपंथी आंदोलन का बदलता स्वरूप

पिछली सदी में 20 के दशक में भारत में शुरू हुए कम्युनिस्ट आंदोलन ने कई पड़ाव तय किए हैं.

1951-52 में हुए पहले लोकसभा चुनाव में अविभाजित कम्युनिस्ट पार्टी ने जहाँ 16 सीटें जीती थीं वहीं पिछले लोकसभा चुनाव में वामपंथी दलों की कुल सीटों की संख्या बढ़कर 61 पहुँच गई थी.

इसमें अकेले मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के 43 सदस्य थे.

1957 में कम्युनिस्टों ने पहली बार केरल में विधानसभा चुनाव जीता था. ये पहला मौक़ा था जब दुनिया में कोई भी कम्युनिस्ट सरकार मतदान द्वारा चुनकर सत्ता में आई थीं.

ईएमएस नंबूदरीपाद वहाँ के मुख्यमंत्री बने. ये अलग बात है कि दो साल बाद 1959 में इस सरकार को केंद्र ने बर्ख़ास्त कर दिया.

वामपंथी दलों के सामने सबसे बड़ा धर्मसंकट 1962 में आया जब चीन ने भारत पर आक्रमण किया.

जहाँ सोवियत संघ का समर्थन करने वाले वामपंथी नेताओं ने भारत सरकार का समर्थन किया, लेकिन कुछ कम्युनिस्ट नेताओं जैसे ईएमएस नम्बूदरीपाद और बीटी रणदिवे ने इसे समाजवादी और पूँजीवादी राष्ट्र के बीच संघर्ष करार दिया.

1964 के आते-आते कम्युनिस्ट पार्टी में औपचारिक विभाजन हो गया. 1970 से 1977 के बीच भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने काँग्रेस का समर्थन किया.

केरल में उसने काँग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाई और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के नेता अच्युत मेनन वहाँ के मुख्यमंत्री बने.

1977 में ज्योति बसु के नेतृत्व में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी पश्चिम बंगाल में सत्ता में आई और तभी से भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का भी काँग्रेस से मोह भंग शुरू हो गया.

1989 के लोकसभा चुनाव के बाद वामपंथी दलों ने विश्वनाथ प्रताप सिंह की जनता दल सरकार को बाहर से समर्थन दिया.

दिलचस्प बात यह कि इस सरकार को भारतीय जनता पार्टी भी बाहर से समर्थन दे रही थी.

1996 में जब काँग्रेस की हार हुई तो तीसरे मोर्चे की सरकार बनवाने में वामपंथी दलों की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका रही.

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Answered by krithikasmart11
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Answer:

वामपंथी आंदोलन का विकास 1920 के दशक में भारत में शुरू हुए कम्युनिस्ट आंदोलन ने बहुत कुछ हासिल किया है।

हाल के लोकसभा चुनावों में वाम दलों द्वारा नियंत्रित सीटों की कुल संख्या बढ़कर 61 हो गई, जबकि अविभाजित कम्युनिस्ट पार्टी ने 1951-1952 में हुए पहले लोकसभा चुनाव में 16 सीटें हासिल कीं।

Explanation:

  • वामपंथी आंदोलन का विकास 1920 के दशक में भारत में शुरू हुए कम्युनिस्ट आंदोलन ने बहुत कुछ हासिल किया है।

  • हाल के लोकसभा चुनावों में वाम दलों द्वारा नियंत्रित सीटों की कुल संख्या बढ़कर 61 हो गई, जबकि अविभाजित कम्युनिस्ट पार्टी ने 1951-1952 में हुए पहले लोकसभा चुनाव में 16 सीटें हासिल कीं।

  • इसमें अकेले मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के 43 सदस्य थे।

  • केरल में पहला विधानसभा चुनाव 1957 में कम्युनिस्टों द्वारा जीता गया था। कम्युनिस्ट आंदोलन के इतिहास में यह पहली बार था कि लोकप्रिय मतदान के माध्यम से एक सरकार चुनी गई थी।

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