भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस कि स्थापना के क्या कारण थे
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भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, अधिकतर कांग्रेस के नाम से प्रख्यात, भारत के दो प्रमुख राजनैतिक दलों में से एक हैं, जिन में अन्य भारतीय जनता पार्टी हैं। कांग्रेस की स्थापना ब्रिटिश राज में २८ दिसंबर १८८५ में हुई थी;[5] इसके संस्थापकों में ए ओ ह्यूम (थियिसोफिकल सोसाइटी के प्रमुख सदस्य), दादा भाई नौरोजी और दिनशा वाचा शामिल थे।[6] १९वी सदी के आखिर में और शुरूआती से लेकर मध्य २०वी सदी में, कांग्रेस भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम में, अपने १.५ करोड़ से अधिक सदस्यों और ७ करोड़ से अधिक प्रतिभागियों के साथ, ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के विरोध में एक केन्द्रीय भागीदार बनी।
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
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दल अध्यक्ष
सोनिया गांधी
नेता लोकसभा
मल्लिका अर्जुन कार्रगे
(विपक्ष के नेता)
नेता राज्यसभा
ग़ुलाम नबी आजाद
(विपक्ष के नेता)
गठन
१८८५
मुख्यालय
मिर्ज़ापुर
गठबंधन
संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग)
लोकसभा मे सीटों की संख्या
48 / 545
राज्यसभा मे सीटों की संख्या
50 / 245
प्रकाशन
काँग्रेस सन्देश
रंग
गहरा हरा [1][2][3][4]
विद्यार्थी शाखा
नेशनल स्टूडेंट यूनियन ऑफ इंडिया (एन० एस० यू० आई०)
युवा शाखा
इंडियन यूथ कांग्रेस
महिला शाखा
ऑल इंडिया महिला कांग्रेस
श्रमिक शाखा
इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस (इंटक)
जालस्थल
inc.in
Election symbol
भारत की राजनीति
राजनैतिक दल
चुनाव
१९४७ में आजादी के बाद, कांग्रेस भारत की प्रमुख राजनीतिक पार्टी बन गई। आज़ादी से लेकर मई २०१४ तक (२०१६ तक नहीं) , १६ आम चुनावों में से, कांग्रेस ने ६ में पूर्ण बहुमत जीता हैं और ४ में सत्तारूढ़ गठबंधन का नेतृत्व किया; अतः, कुल ४९ वर्षों तक वह केन्द्र सरकार का हिस्सा रही। भारत में, कांग्रेस के सात प्रधानमंत्री रह चुके हैं; पहले जवाहरलाल नेहरू (१९४७-१९६५) थे और हाल ही में मनमोहन सिंह (२००४-२०१४) थे। २०१४ के आम चुनाव में, कांग्रेस ने आज़ादी से अब तक का सबसे ख़राब आम चुनावी प्रदर्शन किया और ५४३ सदस्यीय लोक सभा में केवल ४४ सीट जीती।
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