भारतीय संगीत वादय यंत्रो
को कितने भागो मे बाॅटा
गया है।
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गिटार, ड्रम, हरमोनियम, वीणा, सारंगी, बांसुरी और न जाने कितने ही वाद्ययंत्रों के बारे में हम जानते हैं लेकिन क्या आपको पता है कि संगीत को रोचक बनाने वाले इन वाद्ययंत्रों को चार वर्गों में विभाजित किया गया है। इसमें घन-वाद्य, अवनद्ध-वाद्य, सुषिर -वाद्य और तत-वाद्य शामिल हैं। घन-वाद्य में डंडे, घंटियों, मंजीरे आदि शामिल किए जाते हैं जिनको आपस में ठोककर मधुर ध्वनि निकाली जाती है। अवनद्ध-वाद्य या ढोल में वे वाद्य आते हैं, जिनमें किसी पात्र या ढांचे पर चमड़ा मढ़ा होता है जैसे-ढोलक। सुषिर-वाद्य में वे यंत्र शामिल होते हैं जो किसी पतली नलिका में फूंक मारकर संगीतमय ध्वनि उत्पन्न करने वाले होते हैं, जैसे-बांसुरी।
तत-वाद्य में वे यंत्र शामिल होते हैं, जिनसे तारों में कम्पन्न उत्पन्न करके संगीतमय ध्वनि निकाली जाती है, जैसे-सितार। इन वर्गों के हिसाब से आज हम आपको इन वाद्य यंत्रों के बारे में बता रहे हैं। वैसे तो इन्हें शास्त्रीय संगीत के लिए इस्तेमाल किया जाता है लेकिन हिंदी फिल्मों के गीतों के लिए भी कई बार इन वाद्ययंत्रों का इस्तेमाल होता है।