Hindi, asked by manojbagri859, 5 months ago

भारतीय संघ साम्राज्य के सबसे दक्षिणी को कौन सा बिंदु सन 2004 सुनामी की लहरों के कारण जन मंगलम हो गया था​

Answers

Answered by parul291105
0

Answer:

जब भी पृथ्वी पर ठोस चट्टानें अपने स्थान से अचानक हटती हैं या टूटती हैं तो पृथ्वी में कम्पन होता है, पृथ्वी की सतह पर इन कम्पन तरंगों का संचरण भूकम्प या भूचाल कहलाता है, पृथ्वी पर इन कम्पनों का मुख्य कारण महाद्वीपों या समुद्र तल की ठोस चट्टानों का अचानक भ्रंशतलों पर धँसना या खिसकना है जो महाद्वीपों की जमीन पर भूचाल या समुद्र में सुनामी (सिन्धुतंरगें) उत्पन्न करते हैं और ऐसे भूचालों को टैक्टोनिक भूचाल कहते हैं।

यह कम्पन पृथ्वी और समुद्र में केवल अचानक ठोस चट्टानों के टूटने से ही नहीं होते परन्तु रेल गाड़ियों के चलने, भूस्खलन टैंकों के चलने, हिमनद के टूटने एवं हिमखण्डों के टकराने से ज्वालामुखी के फटने, आणविक विस्फोट व उल्का पिण्डों के समुद्र में गिरने से भी होते हैं। लेकिन विनाशकारी भूकम्प व सुनामी केवल अधिकतर पृथ्वी में भ्रंशतल के साथ भ्रंशन के कारण होते हैं जो पृथ्वी पर महाविनाश का तांडव करते हैं।

आइये हम पहले जानें कि सुनामी (सिंधुतंरगे) क्या होती हैं और इसके बाद 26 दिसम्बर, 2004 को क्या हुआ था।

सुनामी क्या है?

सुनामी जिसको कि सु-ना-मी करके उच्चारण किया जाता है एक दैत्याकार तरंगों का रेला या तंरगों की श्रृंखला है जो समुद्र के पानी के अंदर हुये अचानक बदलाव को दर्शाती है जब जलराशि अचानक ऊपर से नीचे की ओर खिसकती है। लेकिन सबसे विनाशकारी सुनामी तब उत्पन्न होती है जब एक भ्रंशतल या खाई के साथ पृथ्वी की पर्पटी धँसती है और इसके कारण समुद्र के किनारे पर विनाशलीला दिखाई पड़ती है।

सुनामी वास्तव में एक जापानी शब्द है जिसका अर्थ है बन्दरगाह पर टकराने वाली तरंगें। ‘सु’ का मतलब है बन्दरगाह एवं ‘नामी’ का मतलब है तरंग। यह तरंगें ज्वार भाटा से अलग है। ज्वार भाटा चन्द्रमा, सूर्य व अन्य तारों की गुरुत्वाकर्षण के कारण आता है। इसी प्रकार यह तरंगें हमेशा भूचाल के कारण नहीं आती हैं और इनको भूचाल जनित समुद्री तरंग नहीं कहा जा सकता है। वास्तव में यह अकल्पित वेग से दौड़ती उमड़ती दैत्याकार जल धाराएँ हैं जो महाविनाशक होती है।

सुनामी (सिन्धुतरेंगे) व समुद्र की सामान्य तरंगें में अन्तर

सुनामी हवा से जन्मी जल तरंगों से अलग है। हवा के द्वारा बनी लहरों की तरंग दैर्ध्य 150 मी. से. कम होती है तथा हवा के द्वारा बनी एक लहर के बाद दूसरी लहर की पुनरावृत्ति का समय 10 सैकण्ड के लगभग होता है। जबकि सुनामी की तरंग दैर्ध्य 10 किमी से अधिक व पुनरावृत्ति का समय लगभग एक घण्टा होता है इस लम्बी तरंग दैर्ध्य के कारण से सुनामी की लहरों के तरंग दैर्ध्य की ऊँचाई कम ऊर्जा व बहुत अधिक गति से चलती है। सुनामी में खुले समुद्र में पानी की लहर कम ऊँची उथली इसलिये होती हैं क्योंकि पानी की गहराई व इसकी तंरगों की लम्बाई का अनुपात कम होता है। फिर इन कम ऊँचाई वाली तरंगों की गति निर्भर करती है : घनत्व व तरंग दैर्ध्य पर जोकि प्रशांत महासागर में 200 से 700 किमी घण्टा हो सकती है। सुनामी अपनी शक्ति की तरंग दैर्ध्य के विपरीत होती है अर्थात सुनामी बहुत तीव्र गति से चलती है व काफी दूरी भी पार करती है समुद्र से जमीन के काफी अन्दर तक, लेकिन इनकी शक्ति का ह्रास एक महासागर से दूसरे महासागर तक भी नहीं होता।

सुनामी जो उनकी तरंगों का एक अपनी तरह मुड़ना है वह पानी का प्रभाव उनकी उच्चतम (शिखर) व निचले हिस्से को पानी की सतह में यानी की गहराई में अन्तर के कारण है एक खुले समुद्र में यह ऊँचाई 1 मीटर हो सकती है पर यही 60 मीटर ऊँची हो सकती है यदि समुद्र का किनारा संकरा, उथला या खाड़ी का हिस्सा है। भूचाल द्वारा व दूसरे कारणों से जनित सुनामी में काफी अन्तर है भूचाल से बनी सुनामी में लहरें जल राशि की उथल-पुथल से उत्पन्न होती हैं। जिसका कारण समुद्र की तलहटी सतह का उठना या धँसना है जोकि विवर्तनिक भूचाल के कारण है। जबकि समुद्री भूस्खलन हिमनदों या हिमनद के टूटने ज्वालामुखी का फटना उल्का पिण्ड या विस्फोट के द्वारा जलराशि की उथल-पुथल चट्टानों या अवसादों के दुबारा फैलने से होता है। जलराशि कुछ में ऊपर से विचलित होती है व कुछ में नीचे की शक्ति के कारण से लेकिन यह एक सर्वभौमिक सत्य है कि टैक्टोनिक भूचाल से बनी सुनामी ही अधिक विध्वंसक होती है क्योंकि यह अधिक शक्तिशाली होती है व अन्य कारणों से जनित सुनामी इतनी शक्तिशाली नहीं होती है क्योंकि उनकी शक्ति जल्दी ही क्षीण हो जाती है आर वह समुद्र के किनारे विध्वंस नहीं कर सकती है।

Similar questions