CBSE BOARD XII, asked by sanskargupta1912, 9 months ago

भारतीय संस्कृति का मूल मंत्र पर अनुच्छेद लिखिए सचित्र संस्कृत में​

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Answered by vbhogal5
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भारत की संस्कृति बहुआयामी है जिसमें भारत का महान इतिहास, विलक्षण भूगोल और सिन्धु घाटी की सभ्यता के दौरान बनी और आगे चलकर वैदिक युग में विकसित हुई, बौद्ध धर्म एवं स्वर्ण युग की शुरुआत और उसके अस्तगमन के साथ फली-फूली अपनी खुद की प्राचीन विरासत शामिल हैं। इसके साथ ही पड़ोसी देशों के रिवाज़, परम्पराओं और विचारों का भी इसमें समावेश है। पिछली पाँच सहस्राब्दियों से अधिक समय से भारत के रीति-रिवाज़, भाषाएँ, प्रथाएँ और परंपराएँ इसके एक-दूसरे से परस्पर संबंधों में महान विविधताओं का एक अद्वितीय उदाहरण देती हैं। भारत कई धार्मिक प्रणालियों, जैसे कि सनातन धर्म, जैन धर्म, बौद्ध धर्म और सिख धर्म मुस्लिम धर्म जैसे धर्मों का जनक है। इस मिश्रण से भारत में उत्पन्न हुए विभिन्न धर्म और परम्पराओं ने विश्व के अलग-अलग हिस्सों को भी बहुत प्रभावित किया है।भारत में बोली जाने वाली भाषाओँ की बड़ी संख्या ने यहाँ की संस्कृति और पारंपरिक विविधता को बढ़ाया है। १००० (यदि आप प्रादेशिक बोलियों और प्रादेशिक शब्दों को गिनें तो, जबकि यदि आप उन्हें नहीं गिनते हैं तो ये संख्या घट कर २१६ रह जाती है) भाषाएँ ऐसी हैं जिन्हें १०,००० से ज्यादा लोगों के समूह द्वारा बोला जाता है, जबकि कई ऐसी भाषाएँ भी हैं जिन्हें १०,००० से कम लोग ही बोलते है। भारत में कुल मिलाकर ४१५ भाषाएं उपयोग में हैं ।

भारतीय संविधान ने संघ सरकार के संचार के लिए हिंदी और अंग्रेजी, इन दो भाषाओं के इस्तेमाल को आधिकारिक भाषा घोषित किया है व्यक्तिगत राज्यों के उनके अपने आतंरिक संचार के लिए उनकी अपनी राज्य भाषा का इस्तेमाल किया जाता है।

भारत में दो प्रमुख भाषा सम्बन्धी परिवार हैं - भारतीय-आर्य भाषाएं और द्रविण भाषाएँ, इनमें से पहला भाषा के परिवार मुख्यतः भारत के उत्तरी, पश्चिमी, मध्य और पूर्वी क्षेत्रों के फैला हुआ है जबकि दूसरा भाषा परिवार भारत के दक्षिणी भाग में.भारत का अगला सबसे बड़ा भाषा परिवार है एस्ट्रो-एशियाई भाषा समूह, जिसमें शामिल हैं भारत के मध्य और पूर्व में बोली जाने वाली मुंडा भाषाएँ, उत्तरपूर्व में बोई जाने वाली खासी भाषाएँ और निकोबार द्वीप में बोली जाने वाली निकोबारी भाषाएँ। भारत का चौथा सबसे बड़ा भाषा परिवार है तिब्बती-बर्मन भाषा परिवार का परिवार जो अपने आप में चीनी- तिब्बती भाषा परिवार का एक उपसमूह है।धर्म जनसंख्या प्रतिशत

सभी धर्म १,०२८,६१०,३२८ १००.००%

सनातन धर्म ८२७,५७८,८६८ ८०.४५६%

मुसलमान १३८,१८८,२४० १३.४३४%

ईसाई २४,०८०,०१६ २.३४१%

सिख १९,२१५,७३० १.८६८%

बौद्ध ७,९५५,२०७ ०.७७३%

जैन ४,२२५,०५३ ०.४११%

अन्य ६,६३९,६२६ ०.६४५४%

धर्म नहीं कहा ७२७,५८८ ०.०७%अब्राहमिक के बाद भारतीय धर्म विश्व के धर्मों में प्रमुख है, जिसमें हिन्दू धर्म, बौद्ध धर्म, सिख धर्म, जैन धर्म, आदि जैसे धर्म शामिल हैं। आज, हिन्दू धर्म और बौद्ध धर्म क्रमशः दुनिया में तीसरे और चौथे सबसे बड़े धर्म हैं, जिनमें लगभग १.४ अरब अनुयायी साथ हैं।

विश्व भर में भारत में धर्मों में विभिन्नता सबसे ज्यादा है, जिनमें कुछ सबसे कट्टर धार्मिक संस्थायें और संस्कृतियाँ शामिल हैं। आज भी धर्म यहाँ के ज़्यादा-से-ज़्यादा लोगों के बीच मुख्य और निश्चित भूमिका निभाता है।

८०.४% से ज्यादा लोगों का धर्म हिन्दू धर्म है। कुल भारतीय जनसँख्या का १३.४% हिस्सा इस्लाम धर्म को मानता है[1] सिख धर्म, जैन धर्म और खासकर के बौद्ध धर्म का केवल भारत में नहीं बल्कि पुरे विश्व भर में प्रभाव है ईसाई धर्म, पारसी धर्म, यहूदी और बहाई धर्म भी प्रभावशाली हैं, लेकिन उनकी संख्या कम है। भारतीय जीवन में धर्म की मज़बूत भूमिका के बावजूद नास्तिकता और अज्ञेयवादियों (agnostic) का भी प्रभाव दिखाई देता है।

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