भारतीय संस्कृति में भोजन के क्या नियम हैं?
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हिन्दू धर्म में भोजन के करते वक्त भोजन के सात्विकता के अलावा अच्छी भावना और अच्छे वातावरण और आसन का बहुत महत्व माना गया है। यदि भोजन के सभी नियमों का पालन किया जाए तो व्यक्ति के जीवन में कभी भी किसी भी प्रकार का रोग और शोक नहीं होता। हिन्दू धर्म अनुसार भोजन शुद्ध होना चाहिए, उससे भी शुद्ध जल होना चाहिए और सबसे शुद्ध वायु होना चाहिए। यदि यह तीनों शुद्ध है तो व्यक्ति कम से कम 100 वर्ष तो जिंदा रहेगा। आजो जानते हैं भोजन के कुछ खास नियम।
1.भोजन करने से पूर्व :
* 5 अंगों (2 हाथ, 2 पैर, मुख) को अच्छी तरह से धोकर ही भोजन करना चाहिए।
*भोजन से पूर्व अन्नदेवता, अन्नपूर्णा माता की स्तुति करके उनका धन्यवाद देते हुए तथा 'सभी भूखों को भोजन प्राप्त हो', ईश्वर से ऐसी प्रार्थना करके भोजन करना चाहिए।
*भोजन बनाने वाला स्नान करके ही शुद्ध मन से, मंत्र जप करते हुए ही रसोई में भोजन बनाएं और सबसे पहले 3 रोटियां (गाय, कुत्ते और कौवे हेतु) अलग निकालकर फिर अग्निदेव को भोग लगाकर ही घर वालों को खिलाएं।
*भोजन किचन में बैठकर ही सभी के साथ करें। प्रयास यही रहना चाहिए की परिवार के सभी सदस्यों के साथ मिल बैठकर ही भोजन हो। नियम अनुसार अलग-अलग भोजन करने से परिवारिक सदस्यों में प्रेम और एकता कायम नहीं हो पाती।