भारतीय संस्कृति नापाक कहां से उद्धृत है इनकी मूल भावना को एक वाक्य में व्यक्त कीजिए
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हमारे देश भारत में इतनी प्राकृतिक विधताएँ देखने को मिलती है; जिनका किसी अन्य देश में मिलना दुर्लभ है | हाँ, इतनी विविधताएँ किसी महाद्वीप में तो हो सकती हैं | इस द्रष्टि से यदि कोई भारत को भिन्न देशों का समूह कहे तो अतिशयोक्ति न होगी | यहाँ अगर असम की पहाडियों में ३०० इंच तक की वर्षा वाले क्षेत्र उपस्थित हैं तो राजस्थान के जैसलमेर में दो-चार इंच वर्षा वाले क्षेत्र भी हैं | असम की जलवायु जहाँ अत्यधिक आद्रता से युक्त है, वहीं जैसलमेर की जलवायु अत्यधिक गर्म है लगता है कि जैसे भूमि न होकर आग से तपता हुआ तवा हो | संसार में पाया जाने वाला कोई अन्न अथवा फल ऐसा नहीं है, जो यहाँ पैदा नहीं होता अथवा जिसे पैदा न किया जा सके; क्योंकि यहाँ संसार में पाई जाने वाली सभी प्रकार की जलवायु मिलती हैं और मिट्टियाँ भी लगभग सभी प्रकार की पाई जाती हैं | थोड़ी बहुत मात्रा में संसार में पाए जाने वाले सभी खनिज यहाँ की मिट्टी में पाए जाते हैं, संसार का कोई ऐसा जानवर अथवा वृक्ष ऐसा नहीं, जो यहाँ के वनों में प्राप्त नहीं होता है भारत की प्राकृतिक विविधता का यहाँ के लोगों के रहन-सहन, वेशभूषा, खान-पान, शरीर और दिमाग पर भी खूब प्रभाव पड़ा है | यह वैज्ञानिक सिद्धांत भी है कि किसी स्थान की जलवायु व्यक्ति के रहन-सहन, वेष भूषा, खान-पान और शारीरिक विकास आदि को प्रभावित करती है विज्ञान के इस सिद्धांत का जीता-जागता प्रमाण अर्थात् व्यावहारिक रूप यहाँ के भिन्न राज्यों के लोगों में प्रत्यक्ष रूप से देखने को मिलता है मतलब यही है कि भारत के विभिन्न राज्यों के लोगों की वेशभूषा, रहन-सहन, खान-पान तथा शारीरिक संरचना में जो विविधता देखने को मिलती है, उसका सबसे प्रमुख कारक यहाँ की प्राकृतिक विविधता अथवा जलवायु ही है |