Hindi, asked by shameercisf1972, 1 year ago

भारतीय संस्कृति और आधुनिक समाज paragraph in 300 words

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Answered by pinkykumari52
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.......भारतीय संस्कृति .......

पूरे विश्व भर में भारतीय संस्कृति बहुत प्रसिद्ध है। विश्व के बहुत रोचक और प्राचीन संस्कृति के रुप में इसको देखा जाता है। अलग-अलग धर्मों, परंपराओं, भोजन, वस्त्र आदि से संबंधित लोग यहाँ रहते हैं। विभिन्न संस्कृति और परंपरा के रह रहे लोग यहाँ सामाजिक रुप से स्वतंत्र हैं इसी वजह से धर्मों की विविधता में एकता के मजबूत संबंधों का यहाँ अस्तित्व है।

अलग परिवारों, जातियों, उप-जातियों और धार्मिक समुदाय में जन्म लेने वाले लोग एकसाथ शांतिपूर्वक एक समूह में रहते हैं। यहाँ लोगों का सामाजिक जुड़ाव लंबे समय तक रहता है। अपनी तारतम्यता, और सम्मान की भावना, इज़्ज़त और एक-दूसरे के अधिकार के बारे में अच्छी भावना रखते हैं। अपनी संस्कृति के लिये भारतीय लोग अत्यधिक समर्पित रहते हैं और सामाजिक संबंधों को बनाए रखने के लिये अच्छे सभ्याचार को जानते हैं। भारत में विभिन्न धर्मों के लोगों की अपनी संस्कृति और परंपरा होती है। उनका अपने त्योंहार और मेले होते हैं जिसे वो अपने तरीके से मनाते हैं। लोग विभिन्न भोजन संस्कृति जैसे पोहा, बूंदा, ब्रेड ऑमलेट, केले का चिप्स, आलू का पापड़, मुरमुरे, उपमा, डोसा, इडली, चाईनीज़ आदि का अनुकरण करते हैं। दूसरे धर्मों के लोगों की कुछ अलग भोजन संस्कृति होती है जैसे सेवईयाँ, बिरयानी, तंदुरी, मठ्ठी आदि।

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........आधुनिकता .......

आधुनिकता अतीत से स्व-प्रेरित पृथकता और नवीन भावों के अन्वेषण की प्रक्रिया है । प्राचीन समाज अंधविश्वासी, रूढ़िवादी परम्पराबद्ध व्यक्तियों और दूसरी ओर प्रगतिवादी विचारधारा वाले व्यक्तियों से बना था । विभिन्न युगों में रूढ़िवादी और आधुनिक दोनों प्रवृतियों के विकास का कारण यह है कि मनुष्य अलग-अलग सामाजिक दायरों में सोचता व कार्य करता है ।

उसने धीरे-धीरे विकास किया । आज जिसे हम रूढ़ि कहते हैं, वह प्राचीन काल में आधुनिकता का सूचक रही होगी । विकसित देश की किसी पिछड़ी जाति के व्यक्ति को यदि अफ्रीका के पिछड़े क्षेत्रों के कबीलों में भेज दिया जाए, तो वह वहाँ का सबसे आधुनिक व्यक्ति माना जाएगा । इस संदर्भ में यह कहा जा सकता है कि आधुनिकता तिथियों पर नहीं, बल्कि दृष्टिकोण पर आधारित होती है ।

सर्वप्रथम, शहरीकरण से आधुनिक युग का प्रारंभ हुआ उसके बाद औद्योगिक क्रांति से इसमें व्यापक प्रगति हुई । इससे न केवल विद्यमान रूढ़िवाद की समाप्ति हो गई, बल्कि सामाजिक स्तर पर रहन-सहन के ढंग में भारी परिवर्तन आया । विद्रोह और मुक्ति का रूप पहले से कहीं और अधिक उग्र होता गया ।

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