Hindi, asked by ishavkhatwani3360, 11 months ago

भारतीय संस्कृति: विलुप्त होती दिशाएं | Indian Culture in Hindi

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Answered by coolthakursaini36
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                       "भारतीय संस्कृति की विलुप्त होती दिशाएं"

सिकंदर जब भारत पर आक्रमण के लिए आने लगा तो उसने अपने गुरु अरस्तु से पूछा, "गुरुदेव मैं भारत से आप के लिए क्या लाऊं? तो उसकी गुरु ने उत्तर दिया, "सिकंदर भारत गुरुओं का देश है मेरे लिए वहां से गुरु लाना"। आज जो राष्ट्र अपने आप को सभ्य कहते हैं, उस समय वे राष्ट्र अस्तित्व में हि नहीं थे या जंगली अवस्था में थे।  

उस समय भारत की इस पावन भूमि पर हमारे प्राचीन ऋषि-मुनियों द्वारा वैदिक ऋचाएं  लिखी जा रही थी, वेद मंत्रों का गान गूंज रहा था और यज्ञ की पवित्र ज्वाला की सुगंध पूरे वातावरण को सुगंधित कर रही थी। भारतवर्ष की सभ्यता और संस्कृति महान है।

संस्कृति वह होती है जो कर्म के रूप में व्यक्त होती है कर्म निश्चय ही विचार पर आधारित होता है जो ज्ञान एवं हमारे कर्मों को श्रेष्ठ बनाती है, वही संस्कृति है। भारतीय संस्कृति सब ओर से समृद्ध है।  

हमारी संस्कृति हमें सिखाती है अपने गुरुओं का मान करना, बुजुर्गों और बड़ों की सेवा करना, पिता की आज्ञा का पालन करना, अपने सगे संबंधियों से स्नेह करना, निर्धन और असहाय की सहायता करना। जिस धरा पर जन्म लिया है उस धरती से प्रेम करना हमारी संस्कृति ही हमें सिखाती है।

भारतीय संस्कृति की यह विशेषता है कि यह संस्कृति किसी जाति अथवा राष्ट्र तक सीमित नहीं है। वैदिक ऋषि सारे विश्व को आर्य अर्थात श्रेष्ठ बनाना चाहते थे। हमारी संस्कृति कहती है-

“अयं निजा परो वेति, गणना लघु चेतषाम्

उदार चरितानां तु वसुधैव कुटुंबकम्"

अर्थात यह मेरा है यह पर आया है ऐसी बात तो छोटे दिल वाले लोग करते हैं, लेकिन विशाल हृदय वाले के लिए तो यह पृथ्वी ही परिवार है।

वेदों में सब की मंगल की कामना की गई है। हे ईश्वर हमें अज्ञान रूपी अंधकार से ज्ञान रूपी प्रकाश की ओर ले चलो। भारतीय संस्कृति उदार, ग्रहणशील एवं समय के साथ चलती रही है अनेक विदेशी संस्कृतियों इस से टकराकर नष्ट हो गई हैं और इसी का अंग बन गए हैं भारत तो मानव समुद्र है यहां पर शक, कुषाण, हूण, पठान, मुसलमान, पारसी, यहूदी, ईसाई सभी आए और सभी ने यहां की संस्कृति को नष्ट करना चाहा लेकिन वह सब नष्ट होकर इसमें आत्मसात हो गए।  

सर्वधर्म समभाव ही हमारी संस्कृति की विशेषता है। लेकिन आज पश्चिमी सभ्यता का अनुकरण ज्यादा हो रहा है। बच्चों को विद्यालय में अंग्रेजी भाषा के महत्व पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है। घर में मां बाप भी बच्चों के साथ अंग्रेजी में बात करने पर बड़ा गौरवान्वित महसूस करते हैं। अंग्रेजी का ज्ञान रखने वाले व्यक्ति को विद्वान समझा जाने लगा है। हमारा पहनावा खान-पान सब कुछ पश्चिमी सभ्यता के अनुरूप हो रहा है।

आज बच्चों में ना तो संस्कार दिए जाते हैं ना अपनी सभ्यता और संस्कृति के बारे में जानकारी दी जा रही है। जो कि राष्ट्र के लिए चिंता का विषय है। हमें उनको यह बताना होगा कि हमारी सभ्यता और संस्कृति ही विश्व की सबसे प्राचीन संस्कृति है।  

पूरा विश्व हमारी संस्कृति से ज्ञान अर्जित करता है। हमें एक बात हमेशा ध्यान रखनी चाहिए कि जो राष्ट्र अपनी सभ्यता और संस्कृति को भूल जाता है उसका पतन निश्चित होता है। हमारी संस्कृति ने बहुत से आक्रमण और दमन झेला है। फिर भी यह जिंदा है और हमारा परम कर्तव्य बनता है कि हम इसको आगे भी ही जीवंत रखेंगे और सदियों तक आने वाली पीढ़ियों का हमारी संस्कृति मार्गदर्शन करते रहे।


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