Political Science, asked by nonabuta5182, 6 months ago

भारतीय संसदीय शासन प्रणाली की मुख्य विशेषताएं लिखें।​

Answers

Answered by Anonymous
60

Explanation:

सरकार की लोकतांत्रिक प्रणाली को कार्यपालिका और विधायिका के बीच के रिश्तों के आधार पर संसदीय और राष्ट्रपति प्रणाली में बांटा जा सकता है। संसदीय प्रणाली में कार्यकारी विधायिका के हिस्से होते हैं जो कानून को लागू करने और उसे बनाने में सक्रिए भूमिका निभाते हैं।

<font colour="blue"><b><u><marquee behaviour="scroll"direction="right"=marquee scrollamount=150>□□□□□□□□□□☆☆■✷✿✷■☆☆□□□□□□□□□</marquee>

&lt;font colour="blue"&gt;&lt;b&gt;&lt;u&gt;&lt;marquee behaviour="scroll"direction="right"=marquee scrollamount=20&gt;Hope it is clear to you please mark as brilliant answer </p><p>&lt;/marquee&gt;

&lt;font colour="orange"&gt;&lt;b&gt;&lt;u&gt;&lt;marquee behaviour="scroll"direction="left"=marquee scrollamount=130&gt;□□□□□□□□□□☆☆■✷✿✷■☆☆□□□□□□□□□&lt;/marquee&gt;

Answered by divyadharaasc
9

Answer:

कार्यकारिणी विधायिका का एक हिस्सा है– कार्यकारिणी विधायिका का हिस्सा है। भारत में, किसी व्यक्ति को कार्यकारिणी का सदस्य बनने के लिए उसे संसद का सदस्य होना चाहिए। हालांकि, संविधान यह सुविधा प्रदान करता है कि अगर कोई व्यक्ति संसद सदस्य नहीं है तो उसे अधिकतम लगातार छह माह की अवधि तक मंत्री नियुक्त किया जा सकता है, उसके बाद वह व्यक्ति मंत्री पद पर नहीं रह सकता (यदि वह छह माह के अन्दर संसद का सदस्य नहीं बनता है तो)।

बहुमत दल नियमः लोकसभा चुनावों में अधिक सीटों पर जीत दर्ज करने वाला दल सरकार बनाता है। भारत में राष्ट्रपति, लोकसभा में बहुमत दल के नेता को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करते हैं। राष्ट्रपति इस नेता को प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्त करते हैं और बाकी के मंत्रियों की नियुक्ति राष्ट्रपति प्रधानमंत्री की सलाह पर करते हैं। अगर किसी भी दल को बहुमत प्राप्त नहीं होता, तो ऐसी स्थिति में, राष्ट्रपति दलों के गठबंधन को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित कर सकते हैं।

सामूहिक जिम्मेदारीः मंत्री परिषद संसद के लिए सामूहिक रूप से जिम्मेदार होता है। संसद का निचला सदन अविश्वास प्रस्ताव पारित कर सरकार को बर्खास्त कर सकता है। भारत में, जब तक लोकसभा में बहुमत रहता है तभी तक सरकार रहती है। इसलिए, लोकसभा के पास सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का अधिकार होता है।

सत्ता के केंद्र में प्रधानमंत्रीः भारत में प्रधानमंत्री वास्तविक कार्यकारी होते हैं। वे सरकार, मंत्रिपरिषद और सत्तारूढ़ सरकार के प्रमुख होते हैं। इसलिए, सरकार के कामकाज में उन्हें महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होती है।

संसदीय विपक्षः संसद में कोई भी सरकार शत– प्रतिशत बहुमत प्राप्त नहीं कर सकती। विपक्ष राजनीतिक कार्यकारी द्वारा अधिकार के मनमाने ढंग से उपयोग की जांच में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

स्वतंत्र लोक सेवाः लोक सेवक सरकार को परामर्श देते हैं औऱ उनके फैसलों को लागू करते हैं। मेधा– आधारित चयन प्रक्रिया के आधार पर लोक सेवकों की स्थायी नियुक्ति की जाती है। सरकार बदलने के बाद भी उनकी नौकरी की निरंतरता बनी रहती है। लोक सेवा कर्तव्यों और जिम्मेदारियों के निष्पादन में दक्षता सुनिश्चित करता है।

दो सदनों वाली विधायिकाः भारत समेत, अधिकांश देश संसदीय प्रणाली अपनाते हैं और वहां दो सदनों वाली विधायिका है। इन सभी देशों के निचले सदन के सदस्यों का चुनाव जनता करती है। निचला सदन सरकार के कार्यकाल पूरा होने या बहुमत की कमी की वजह से सरकार न बना पाने की वजह से भंग किया जा सकता है। भारत में राष्ट्रपति प्रधानमंत्री की अनुशंसा पर लोकसभा भंग कर सकते हैं।

गोपनीयताः इस प्रणाली में कार्यकारिणी के सदस्यों को कार्यवाहियों, कार्यकारी बैठकों, नीतिनिर्माण आदि जैसे मामलों में गोपनीयता के सिद्धांत का पालन करना होगा। भारत में, अपने कार्यालय में प्रवेश से पहले मंत्री गोपनीयता की शपथ लेते हैं।

संसदीय प्रणाली के लाभ

राष्ट्रपति प्रणाली की तुलना में संसदीय प्रणाली के निम्नलिखित लाभ हैं–

विभिन्न प्रकार के समूहों का प्रतिनिधित्वः सरकार का संसदीय स्वरूप कानून और नीति निर्माण में विभिन्न जातीय, नस्ली, भाषाई और वैचारिक समूहों को अपने विचार साझा करने का अवसर मुहैया कराता है। भारत जैसे देश में जहां विविधता का स्तर बहुत अधिक है, वहां, समाज के विभिन्न वर्गों के लिए राजनीतिक स्थान उपलब्ध करा कर लोगों का जीवन सरल बनाता है।

विधायिका और कार्यपालिका के बीच बेहतर समन्वयः कार्यकारिणी, विधायिका का हिस्सा है। चूंकि सरकार को निचले सदन में सदस्यों का बहुमत प्राप्त होता है, विविदों और झगड़ों की प्रवृत्ति कम हो जाती है। यह सरकार के लिए संसद में कानून पारित कराना और उसे लागू करना आसान बनाता है।

अधिनायकवाद को रोकता हैः संसदीय प्रणाली में, एक ही व्यक्ति के पास सभी शक्तियों के बजाए शक्ति मंत्रि परिषद के पास होती है जिससे अधिनायकवाद की प्रवृत्ति कम हो जाती है। संसद अविश्वास प्रस्ताव के माध्यम से सरकार को हटा सकती है।

जिम्मेदार सरकारः संसद कार्यकारिणी की गतिविधि की जांच कर सकती है क्योंकि कार्यकारिणी संसद के लिए जिम्मेदार होती है। राष्ट्रपति प्रणाली में, राष्ट्रपति विधायिका के लिए जिम्मेदार नहीं होता। संसद के सदस्य सरकार पर दबाव बनाने के लिए प्रश्न पूछ सकते हैं, प्रस्ताव ला सकते हैं और जनता के महत्व के मामलों पर चर्चा कर सकते हैं। ऐसे प्रावधान राष्ट्रपति प्रणाली में नहीं हैं।

वैकल्पिक सरकार की उपलब्धताः संसद का निचला सदन ( लोकसभा) अविश्वास प्रस्ताव ला सकता है और उसे पारित कर सकता है। ऐसी स्थिति में राष्ट्रपति, देश की प्रमुख विपक्षी पार्टी के नेता को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करता है। यूनाइटेड किंग्डम में, विपक्ष सरकार के मंत्रिमंडल के लिए छाया मंत्रिमंडल (शैडो कैबिनेट) बनाता है ताकि वे इस प्रकार की भूमिका निभाने के लिए तैयार रहें।

Similar questions