भारतीय संविधान की कोई पाँच विशेषताओं का वर्णन कीजिये?
अथवा
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संविधान के स्रोत– भारतीय संविधान ने विभिन्न देशों से प्रावधान उधार लिए हैं और देश की उपयुक्तता और जरुरतों के लिहाज से उसमें संशोधन किया है। भारत के संविधान का संरचनात्मक भाग भारत सरकार अधिनियम, 1935 से लिया गया है। सरकार की संसदीय प्रणाली और कानून के नियम जैसे प्रावधान यूनाइटेड किंग्डम से लिए गए हैं।
कठोरता और लचीलापन– भारत का संविधान न तो कठोर है और न ही लचीला। कठोर संविधान का अर्थ है कि संशोधन के लिए विशेष प्रक्रियाओं की जरूरत होती है जबकि लचीला संविधान वह होता है जिसमें संशोधन आसानी से किया जा सकता है।
धर्मनिरपेक्ष देश– धर्मनिरपेक्ष देश शब्द का अर्थ है कि भारत में मौजूद सभी धर्मों को देशमें समान संरक्षण और समर्थन मिलेगा। इसके अलावा, सरकार सभी धर्मों के साथ एक जैसा व्यवहार करेगी और उन्हें एक समान अवसर उपलब्ध कराएगी।
भारत में संघवाद– भारत के संविधान में संघ/ केंद्र और राज्य सरकारों के बीच सत्ता के बंटवारे का प्रावधान है। यह संघवाद के अन्य विशेषताओं जैसे संविधान की कठोरता, लिखित संविधान, दो सदनों वाली विधायिका, स्वतंत्र न्यायपालिका और संविधान के वर्चस्व, को भी पूरा करता है। इसलिए भारत एकात्मक पूर्वाग्रह वाला एक संघीय राष्ट्र है।
सरकार का संसदीय स्वरूप– भारत में सरकार का संसदीय स्वरूप है। भारत में दो सदनों – लोकसभा और राज्य सभा, वाली विधायिका है। सरकार के संसदीय स्वरूप में, विधायी और कार्यकारिणी अंगों की शक्तियों में कोई स्पष्ट अंतर नहीं है। भारत में, सरकार का मुखिया प्रधानमंत्री होता है।
एकल नागरिकता– भारत का संविधान देश के प्रत्येक व्यक्ति को एकल नागरिकता प्रदान करता है। भारत में कोई भी राज्य किसी अन्य राज्य के वासी होने के आधार पर भेदभाव नहीं कर सकता। इसके अलावा, भारत में, किसी भी व्यक्ति को देश के किसी भी हिस्से में जाने और कुछ स्थानों को छोड़कर भारत की सीमा के भीतर कहीं भी रहने का अधिकार है।
एकीकृत और स्वतंत्र न्यापालिका– भारत का संविधान एकीकृत और स्वतंत्र न्यायपालिका प्रणाली प्रदान करता है। सुप्रीम कोर्ट भारत का सर्वोच्च न्यायालय है। इसे भारत के सभी न्यायालयों पर अधिकार प्राप्त है। इसके बाद उच्च न्यायालय, जिला अदालत और निचली अदालत का स्थान है। किसी भी प्रकार के प्रभाव से न्यायपालिका की रक्षा के लिए संविधान में कुछ प्रावधान बनाए गए हैं जैसे कि जजों के लिए कार्यकाल की सुरक्षा और सेवा की निर्धारित शर्तें आदि।
राज्य नीति के निर्देशक सिद्धांत– संविधान के भाग IV (अनुच्छेद 36 से 50) में राज्य नीति के निर्देशक सिद्धांतों के बारे में बात की गई है। इन्हें कोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकती हैं जो कि मोटे तौर पर समाजवादी, गांधीवादी और उदार– बौद्धिकता में वर्गीकृत हैं।
मौलिक कर्तव्य– इन्हें 42वें संविधान संशोधन अधिनियम (1976) द्वारा संविधान में शामिल किया गया है। इस उद्देश्य के लिए, एक नया हिस्सा, भाग IV– ए बनाया गया और अनुच्छेद 51– ए के तहत दस कर्तव्य शामिल किए गए। यह प्रावधान नागरिकों को इस बात की याद दिलाता है कि अधिकारों का उपयोग करने के दौरान उन्हें अपने कर्तव्यों का भी निर्वहन करना चाहिए।
सार्वभौम व्यस्क मताधिकार – भारत में,18 वर्ष से अधिक उम्र के प्रत्येक नागरिक को जाति, धर्म, वंश, लिंग, साक्षरता आदि के आधार पर भेदभाव किए बिना मतदान देने का अधिकार प्राप्त है। सार्वभौम व्यस्क मताधिकार सामाजिक असमानताओं को दूर करता है और सभी नागरिकों के लिए राजनीतिक समानता के सिद्धांत को बनाए रखता है।
आपातकाल के प्रावधान– देश की संप्रभुता, सुरक्षा, एकता और अखंडता को बनाए रखने के लिए किसी भी असाधारण स्थिति से निपटने के लिए राष्ट्रपति को कुछ खास कदम उठाने का अधिकार है। आपातकाल लगा दिए जाने के बाद राज्य पूरी तरह से केंद्र सरकार के अधीन हो जाते हैं। जरुरत के अनुसार आपातकाल देश के कुछ हिस्सों या पूरे देश में लगाया जा सकता है।