भारतीय संविधान के निर्माण का संक्षप में वर्णन करे ।
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सैद्धांतिक रुप से संविधान सभा का विचार ब्रिटिश सरकार सर हैनरी मैन ने प्रस्तुत किया था तथा व्यवहारिक रुप से सबसे पहले संविधान निर्माण के लिए अमेरिका मेँ संविधान सभा का गठन किया गया था।
संविधान सभा के सिद्धांत के दर्शन सर्वप्रथम 1895 के स्वराज विधेयक मेँ होते हैं, जिसे लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक के निर्देश मेँ तैयार किया गया था।
संविधान सभा का सुझाव सर्वप्रथम गांधीजी के द्वारा 1922 मेँ हरिजन नामक पत्र मेँ स्पष्ट कहा गया कि भारत का संविधान भारतीयों को स्वयं बनाने का अधिकार होना चाहिए।
भारतीय संविधान का निर्माण एक संविधान सभा द्वारा हुआ, जून 1934 मेँ सर्वप्रथम संविधान सभा के लिए औपचारिक रुप से एक निश्चित मांग पेश की गयी थी।
1936 मेँ लखनऊ मेँ हुए अखिल भारतीय कांग्रेस अधिवेशन मेँ भारत के लिए प्रजातांत्रिक संविधान बनाने के लिए एक संविधान सभा की मांग प्रस्तुत की गयी।
अगस्त प्रस्ताव 1940 मेँ पहली बार संविधान सभा की मांग को ब्रिटिश सरकार ने आधिकारिक रुप से स्वीकार कर लिया।
क्रिप्स प्रस्ताव 1942 मेँ स्पष्ट रुप से संविधान सभा की रुपरेखा की बात कही गयी है।
1946 में ब्रिटिश मंत्रिमंडलीय शिष्टमंडल ने अपनी योजना के अंतर्गत वर्तमान संविधान सभा की संरचना बनाई थी।
कैबिनेट मिशन योजना
ब्रिटिश संसदीय प्रतिनिधिमंडल की रिपोर्ट का अध्यन करने के पश्चात 1946 मेँ एक त्रिस्तरीय प्रतिनिधिमंडल भारत आया, जिसे कैबिनेट मिशन के नाम से जानते हैं।
कैबिनेट मिशन के अध्यक्ष पैथिक लॉरेंस (भारत सचिव) व ब्रिटेन – व्यापार बोर्ड के अध्यक्ष स्टेफर्ड क्रिप्स तथा नौसेना अध्यक्ष ए.बी. एलेक्जेंडर सदस्य थे।
कैबिनेट मिशन का मूल उद्देश्य कांग्रेस और मुस्लिम लीग के बीच समझौता कराने के लिए मध्यस्थता करवाना तथा वायसराय को भारत की संविधान सभा के गठन मेँ सहायता करना था।
भारत मेँ संविधान सभा का गठन कैबिनेट मिशन योजना के प्रावधानोँ के अनुसार अप्रत्यक्ष रुप से राज्योँ की विधानसभाओं द्वारा 1946 मेँ किया गया था। निर्वाचन केवल तीन संप्रदायोँ, मुस्लिम सिख व अन्य हिंदू मेँ विभक्त किया गया था।
चीफ कमिश्नरी प्रांतो को भी संविधान सभा मेँ प्रतिनिधित्व दिया गया था।
कैबिनेट मिशन के अनुसार संविधान सभा के सदस्योँ की संख्या 389 थी, जिनमें 229 प्रांतो मेँ से तथा 93 देशी रियासतो मेँ से चुने जाते थे, 4 कमिश्नरी क्षेत्रोँ मेँ से थे। प्रत्येक प्रांत और देसी रियासतों को अपनी जनसंख्या के अनुपात मेँ स्थान आवंटित किए गए थे।
संविधान सभा मेँ जनसंख्या के आधार पर प्रतिनिधि निर्धारित किए गए(१० लाख पर 1)।
संविधान सभा मेँ महिलाओं की संख्या 9 तथा अनुसूचित जनजाति के सदस्योँ की संख्या 33 थी।
संविधान निर्माण प्रक्रिया के विभिन्न चरण एवं तथ्य
संविधान सभा की प्रथम बैठक 9 दिसंबर, 1946 को हुई, सच्चिदानंद सिन्हा को सभा का अस्थायी अध्यक्ष नियुक्त किया गया तथा मुस्लिम लीग ने इसका का बहिष्कार किया था।
11 दिसंबर, 1946 को डॉ राजेंद्र प्रसाद को संविधान सभा के स्थायी अध्यक्ष चुना गया।
श्री बी. एन. राव को संविधान सभा के संवैधानिक सलाहकार पद पर नियुक्त किया गया।
13 दिसंबर, 1946 को जवाहरलाल नेहरु ने संविधान सभा मेँ उद्देश्य प्रस्ताव प्रस्तुत कर संविधान निर्माण का कार्य प्रारंभ किया, यह प्रस्ताव संविधान सभा ने 22 जून 1947 को पारित कर दिया।
संविधान निर्माण के लिए विभिन्न समितियां, जैसे प्रक्रिया समिति, वार्ता समिति, संचालन समिति कार्य समिति, संविधान समिति, झंडा समिति आदि का निर्माण किया गया।
विभिन्न समितियोँ मेँ प्रमुख प्रारुप समिति थी, जो कि 19 अगस्त, 1947 को गठित की गयी थी, इसका अध्यक्ष डाक्टर बी. आर. अंबेडकर को बनाया गया।
संविधान सभा की बैठक तृतीय वाचन (अंतिम वाचन) के लिए 14 नवंबर, 1949 को हुई, यह बैठक 26 नवंबर 1949 को समाप्त हुई।
भारतीय संविधान का निर्माण एक संविधान सभा द्वारा 2 वर्ष 11 महीने तथा 18 दिन मेँ किया गया था।
संपूर्ण संविधान 26 जनवरी, 1950 को लागू किया गया था। 26 जनवरी, 1950 को भारत को गणतंत्र घोषित किया गया। संविधान सभा को ही आगामी संसद के चुनाव तक भारतीय संसद के रुप मेँ मान्यता प्रदान की गयी।
संविधान निर्माण के पीछे मुख्य रुप से जवाहरलाल नेहरु, सरदार बल्लभ भाई पटेल, राजेंद्र प्रसाद, मौलाना अबुल कलाम, आजाद आचार्य कृपलानी, टी टी कृष्णामचारी एवं डॉ. बी. आर. अंबेडकर का मस्तिष्क था। कुछ प्रमुख व्यक्तियों ने डॉ. बी. आर. अंबेडकर को संविधान का पिता कहा है।
भारतीय संविधान विश्व का सबसे लंबा लिखित संविधान है।
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