भारतीय संविधान का संक्षिप्त निष्कर्ष | (200 शब्द)
Answers
Answer:
प्रस्तावनाजब-जब देश की गणतंत्रता की बात होगी, तब-तब देश के संविधान का नाम आना स्वाभाविक है। हमारा संविधान अनूठा संविधान है। संविधान को बनाने के लिए संविधान-सभा बनाई गई थी, जिसका गठन स्वतंत्रता पूर्व ही दिसम्बर, 1946 को हो गया था। संविधान को निर्मित करने के लिए संविधान-सभा में अलग-अलग समितियां बनाई गयी थी। इसका मसौदा बनाने का जिम्मा प्रारूप-समिति को दिया गया था, जिसके अध्यक्ष डाँ. भीमराव अम्बेडकर थे।
क्या है भारतीय संविधान
देश का कानून ही देश का संविधान कहलाता है। इसे धर्म-शास्त्र, विधि-शास्त्र आदि नामों से भी जाना जाता है। हमारा संविधान 26 नवंबर 1949 को अंगीकृत कर लिया गया था, और सम्पूर्ण भारत में इसके एक महीने बाद, 26 जनवरी 1950 से प्रभाव में आया। इसे पूर्णतः बनने में 2 साल, 11 महीनें और 18 दिनों का वक़्त लगा। इसके लिए 114 दिनों तक बहस चली। कुल 12 अधिवेशन किए गये। लास्ट डे 284 लोगों ने इस पर साइन किए।
संविधान सभा के प्रमुख सदस्यों में ‘पंडित जवाहर लाल नेहरू’, ‘डा. भीमराव अम्बेडकर’, ‘डा. राजेन्द्र प्रसाद’, ‘सरदार वल्लभ भाई पटेल’, ‘मौलाना अब्दुल कलाम आजाद’ आदि थे।
भारत के संविधान में शुरूआत में 395 अनुच्छेद, 22 भाग और 8 अनुसूचियां थी, जो अब बढ़कर 448 अनुच्छेद, 25 भाग और 12 अनुसूचियां हो गयी हैं।
निष्कर्ष
हमारे भारत का संविधान दुनिया का सबसे अच्छा संविधान माना जाता है। इसे दुनिया भर के संविधानों का अध्ययन करने के बाद बनाया गया है। उन सभी देशों की अच्छी-अच्छी बातों को आत्मसात किया गया है। संविधान की नज़र में सब एक समान है। सबके अधिकार और कर्तव्य एक समान है। इसकी दृष्टि में कोई छोटा नहीं, कोई बड़ा, न ही अमीर, न ही गरीब। सबके लिए एक जैसे पुरस्कार और दंड का विधान है।