भारतीय संविधान कठोर एवं लचीला दोनों हैं इसकी व्याख्या बताओ
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भारतीय संविधान न तो पूर्ण रूप से कठोर न ही पूर्ण रूप से लचीला संविधान है। यह आंशिक कठोर एवं आंशिक लचीला है। ❤
जैसे- भारत के राष्ट्रपति का चुनाव। संविधान के कुछ अनुच्छेदों को संसद के दोनों सदनों के बहुमत से तथा राज्यों के विधान मंडल के बहुमत से परिवर्तित किया जा सकता है। ❤
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Explanation:
भारत का संविधान कठोर है या लचीला, यह जानने के लिए आपको पहले इन दोनों शब्दों का अर्थ संविधान के संबंध में समझना होगा। कठोर संविधान का अर्थ है कि संशोधन के लिए विशेष प्रक्रियाओं की जरूरत होती है, जबकि लचीला संविधान वह होता है, जिसमें संशोधन आसानी से किया जा सकता है। भारत के संविधान में संशोधन की एक निश्चित प्रक्रिया है। यह प्रक्रिया न तो बहुत ज्यादा कठोर है और न ही बहुत ज्यादा लचीली।
इसी कारण भारत का संविधान जितना कठोर है, उतना ही यह लचीला भी है। भारत के संविधान में आपको अमेरिका के, ब्रिटेन के तथा कई देशों के संविधान की कई बातें देखने को मिल सकती हैं। इसमें सबकुछ लिखित अवस्था में नहीं है और आपको बहुत कुछ कन्वेंशन के आधार पर भी समझना पड़ता है। इसे आप किसी खास देश से लिया हुआ या किसी खास ढांचे पर आधारित नहीं कह सकते हैं। यह अपने आप में बिल्कुल अलग है।