भारतीय संविधान पर दूसरे देशों के संविधानों के प्रभाव का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
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संविधान, मूल सिद्धांतों या स्थापित नज़ीरो का एक समुच्चय होता है जिससे कोई राज्य या अन्य संगठन अभिशासित होते हैं। यह वह विधि है जो किसी राष्ट्र के शासन का आधार होती है एवं उसके चरित्र, संगठन को निर्धारित करती है। यह लिखित या अलिखित दोनों रूपों में हो सकता है। यद्यपि संयुक्त राष्ट्र अमेरिका के उदाहरण के पश्चात अधिकतर देशों में लिखित संविधान की प्रथा प्रचलित हो गई है।
आगे हम भारतीय संविधान की अन्य देशों के संविधान के साथ तुलनात्मक अध्ययन करेंगे-
संविधान की तुलना का प्रथम आधार है ‘शासन प्रणाली’, जो भारत के संदर्भ में संघात्मक है परंतु गंभीर परिस्थितियों में यह एकात्मक भी होती है। वहीं अमेरिका और जर्मनी में संघात्मक, फ्राँस में एकात्मक व ब्रिटेन में संवैधानिक राजतंत्र एवं एकात्मक शासन प्रणाली विद्यमान है।
‘लोकतंत्र’ के संदर्भ में भारत, ब्रिटेन और जर्मनी में संसदीय शासन प्रणाली को अपनाया गया है, जबकि अमेरिका अध्यक्षीय प्रणाली पर आधारित है। वही फ्राँस में राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री दोनों के पास कार्यपालिका की निश्चित शक्तियाँ होती हैं अर्थात् वहाँ अर्द्ध-संसदीय या अर्द्ध-अध्यक्षात्मक प्रणाली को अपनाया गया है।
तुलना करने की दिशा में अगला आधार ‘विधायिका’ है। भारत में उच्च सदन को ‘राज्यसभा’ व निम्न सदन को ‘लोकसभा’ कहते हैं। साथ ही संसद के पास पर्याप्त शक्तियाँ होती हैं। ब्रिटेन में भी संसद अत्यधिक शक्तिशाली है।