CBSE BOARD X, asked by rahul919, 10 months ago

भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष में पुलिस की भूमिका पर टिप्पणी कीजिए ।
Class 10- Hindi- Diary ka ek panna
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Answers

Answered by priyagagrai38
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Explanation:

भारत को मुक्त कराने के लिए सशस्त्र विद्रोह की एक अखण्ड परम्परा रही है। भारत में अंग्रेज़ी राज्य की स्थापना के साथ ही सशस्त्र विद्रोह का आरम्भ हो गया था। बंगाल में सैनिक-विद्रोह, चूआड़ विद्रोह, सन्यासी विद्रोह, संथाल विद्रोह अनेक सशस्त्र विद्रोहों की परिणति सत्तावन के विद्रोह के रूप में हुई। प्रथम स्वातन्त्र्य–संघर्ष के असफल हो जाने पर भी विद्रोह की अग्नि ठण्डी नहीं हुई। शीघ्र ही दस-पन्द्रह वर्षों के बाद पंजाब में कूका विद्रोह व महाराष्ट्र में वासुदेव बलवन्त फड़के के छापामार युद्ध शुरू हो गए। संयुक्त प्रान्त में पं॰ गेंदालाल दीक्षित ने शिवाजी समिति और मातृदेवी नामक संस्था की स्थापना की। बंगाल में क्रान्ति की अग्नि सतत जलती रही। सरदार अजीतसिंह ने सत्तावन के स्वतंत्रता–आन्दोलन की पुनरावृत्ति के प्रयत्न शुरू कर दिए। रासबिहारी बोस और शचीन्द्रनाथ सान्याल ने बंगाल, बिहार, दिल्ली, राजपूताना, संयुक्त प्रान्त व पंजाब से लेकर पेशावर तक की सभी छावनियों में प्रवेश कर 1915 में पुनः विद्रोह की सारी तैयारी कर ली थी। दुर्दैव से यह प्रयत्न भी असफल हो गया। इसके भी नए-नए क्रान्तिकारी उभरते रहे। राजा महेन्द्र प्रताप और उनके साथियों ने तो अफगान प्रदेश में अस्थायी व समान्तर सरकार स्थापित कर ली। सैन्य संगठन कर ब्रिटिश भारत से युद्ध भी किया। रासबिहारी बोस ने जापान में आज़ाद हिन्द फौज के लिए अनुकूल भूमिका बनाई।

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